कक्काजी कहिन...

मुख्यमंत्री झीरम पीड़ित परिवारों के जले पर नमक मत छिड़को: उपासने

मंत्री कवासी लखमा नार्को टेस्ट के लिए तैयार; लेकिन...

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कवासी लखमा के नार्को टेस्ट वाले बयान के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मंत्री कवासी लखमा नार्को टेस्ट के लिए तैयार लेकिन उसके पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, मंत्री और पुलिस अधिकारियों के भी नार्को टेस्ट होना चाहिए।
ज्ञात हो कि मई 2013 के झीरम नक्सल हमले में कांग्रेसी नेताओं की हत्या के समय कांग्रेस नेता कवासी लखमा भी मौजूद थे और इस हमले में वो बचकर निकल आये थे। 
उस नक्सल हमले के चश्मदीद गवाह, तत्कालीन कांग्रेसी डॉ. शिव नारायण द्विवेदी ने कल कोर्ट में जज के सामने बयान दिया था कि उन्हें कवासी लखमा का नक्सलियों से मिलकर नेताओं की हत्या करवाने का शक़ है। आज पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने माँग की है कि कवासी लखमा का नार्को टेस्ट होना चाहिए । इसके जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कवासी लखमा नार्को टेस्ट के लिये तैयार है पर साथ मे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, मंत्री और पुलिस अधिकारियों के भी नार्को टेस्ट होना चाहिए।  
इसके पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा कि झीरम मामले का न्याय तभी संभव है, जब मुख्यमंत्री बघेल का लाई डिटेक्टर टेस्ट हो। झीरम का सबूत जेब में लेकर घूमने का दावा करने वाले भूपेश बघेल आज तक संबंधित जांच एजेंसी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। जाहिर है सबूत छिपाना भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है।

प्रवक्ता उपासने ने कहा कि जिस संदिग्ध परिस्थिति में वह नृशंस वारदात हुई, उससे संबंधित सबूत साक्ष्य होने का दावा करने वाले तब के कांग्रेस अध्यक्ष आज झूठ का पुलिंदा नज़र आ रहे हैं लेकिन अपनी जेब से सबूत नहीं निकाल रहे जबकि अब वे खुद सीएम हैं। ऐसा किया जाना किसी बड़े षड़यंत्र की तरफ इशारा करता है। अतः न्याय के हित में यह आवश्यक है कि सीएम बघेल का लाई डिटेक्टर-पॉलीग्राफी टेस्ट हो।

उपासने ने कहा कि मुख्यमंत्री का झूठ पर झूठ गढ़ना यह साफ करता है कि झीरम मामले की तथ्यपरक जांच में उनकी कोई रुचि नहीं है। वे इस मुद्दे पर केवल राजनीति करके अपनी दुकानदारी चलाने का काम कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता ने जानना चाहा कि अगर झीरम मामले में कांग्रेस के नेता और मौजूदा मंत्री पाक-साफ हैं तो नार्को टेस्ट की महज चर्चा से ही वे विचलित क्यों हो रहे हैं? और, मुख्यमंत्री को अपने मंत्री के बचाव के लिए इतने निम्न स्तर के बयान क्यों देने पड़ रहे है? क्या मुख्यमंत्री झीरम कांड को लेकर इस तरह की बयानबाजी करके मामले की जांच को लंबित रखना चाह रहे हैं? आखिर भूपेश सबूत देने से डर क्यों रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता श्री उपासने ने यह भी जानना चाहा कि झीरम जांच को लेकर मुख्यमंत्री आखिर किसके दबाव में हैं? कांग्रेस के सचिव रहे उस घटना के प्रत्यक्ष गवाह शिव नारायण द्विवेदी के बयान पर सीएम बौखला क्यूं रहे हैं? मुख्यमंत्री को नार्को टेस्ट की बयानबाजी से बचकर सीधे-सीधे जेब में रखे झीरम के सबूत सार्वजनिक करना चाहिए, जो वे नहीं कर रहे हैं और अब अपने राजनीतिक पाखंड व मिथ्याचार की शर्मिन्दगी को ऊलजलूल बातों में ढंकने और उलझाने में जुटे हैं। झीरम पीड़ितों को न्याय दिलाने का दंभ भरने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मृतक साथियों को न्याय दिलाना भूल गए यह बहुत ही दुर्भाग्यजनक है। वे केवल कोरी बयानबाजी कर मिथ्याचार कर रहे हैं।