एक दिवसीय धरना, 24 नवंबर से हड़ताल की चेतावनी
रायपुर । राज्य की शिक्षा व्यवस्था के भीतर महीनों से पनप रही खामोश हलचल आखिरकार सड़क पर उतर आई। युक्तियुक्तीकरण प्रक्रिया से उपजी अव्यवस्थाओं के खिलाफ युक्तियुक्तीकरण पीड़ित शिक्षक संघ, छत्तीसगढ़ ने आज रायपुर के निर्धारित धरना स्थल पर एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना देकर प्रशासन को साफ संकेत दे दिया कि शिक्षक समुदाय अब और चुप रहने के मूड में नहीं है।
धरना स्थल पर उमड़ी भीड़ सिर्फ नाराजगी का इज़हार नहीं कर रही थी, बल्कि उन समस्याओं की ओर इशारा कर रही थी, जिनके कारण हजारों शिक्षक परिवार पिछले कई महीनों से प्रशासनिक उलझनों, वेतन रोके जाने और मनमानी पदस्थापनाओं के चलते कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने सौंपी शिकायत
धरना प्रदर्शन के बाद संघ का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर रायपुर और जिला पुलिस अधीक्षक से मिला। दोनों अधिकारियों को मुख्यमंत्री व स्कूल शिक्षा मंत्री के नाम विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में वह पूरी तस्वीर दर्ज है जिसे शिक्षक महीनों से झेल रहे हैं - वरिष्ठता निर्धारण में त्रुटियाँ, वास्तविक रिक्तियों को छिपाए जाने का आरोप, पति-पत्नी व गंभीर बीमारी वाले मामलों की अनदेखी, और न्यायालयीन प्रकरण लंबित होने के बावजूद वेतन रोक देना।
शिक्षकों का आरोप है कि समितियों में अभ्यावेदन न लेकर एकतरफा निर्णय थोपे जा रहे हैं, वहीं विभागीय समन्वय अनुमोदन जैसे प्रावधानों का भी गलत उपयोग हो रहा है। अंग्रेजी माध्यम तथा विषयवार पदों में व्याप्त विसंगतियों की ओर भी संघ ने स्पष्ट ध्यान खींचा।
धरना स्थल पर मौजूद कई शिक्षकों ने माना कि यह स्थिति अब केवल विभागीय लापरवाही का मुद्दा नहीं, बल्कि शासन के लिए भी चेतावनी है- क्योंकि मनमानी प्रक्रियाओं ने शिक्षक समुदाय का मनोबल तोड़ने का काम किया है।
“लड़ाई नियमों की बहाली की है”
सभा में यह भी कहा गया कि यदि प्रशासन ने समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो शिक्षक समुदाय को बड़े आंदोलन की ओर बढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
संघ की मांगें
- वरिष्ठता निर्धारण की त्रुटियों का पुनरीक्षण
- वास्तविक रिक्त पदों का प्रकाशन
- अतिशेष घोषित शिक्षकों की सूची का संशोधन
- पति-पत्नी व बीमारी आधारित मामलों में नियमानुसार राहत
- रोका गया वेतन तत्काल जारी करना
- समूची युक्तियुक्तीकरण प्रक्रिया की उच्चस्तरीय जांच
संघ ने प्रशासन को याद दिलाया कि ये मांगे राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं, बल्कि सम्मानजनक और नियमबद्ध सेवा-परिस्थितियों की बुनियादी जरूरतें हैं।







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