मंदराज सचिव के चलते पूरा पंचायत क्षेत्र हुआ हलाकान

बालोद। जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत गुरूर जनपद पंचायत के कई पंचायत सचिवों की हालत गंगोरीपार पंचायत के शराबी सचिव के जैसी ही है जिनके गले जब तक प्लेन की पौवा नहीं जाता तब तक इनकी गाड़ी में पंचायत जाने के लिए चाबी नहीं लगती है और यदि शराब ज्यादा लग जाये, तो इनके खुद की दिमाग का ताला खुलता नहीं है। 


ग्राम पंचायत गंगोरीपार के खिलानंद पटेल सचिव जो कि आदतन शराबी है, कई बार तो ऐसा हुआ है की महिला सरपंच तक को सड़क पर शराब के नशा में धुर्त हो कर पड़े सचिव खिलानद पटेल को घर छोड़ना पड़ा है। जरा सोचिए की ऐसे शराबी सचिव को जनता आखिर कब तक अपने कंधों पर बिठा कर इनका बोझ उठायेगी ,गुरूर जनपद पंचायत के अधिकारी आखिर पंचायत को छोड़कर दिनभर गुरूर के चक्कर लगाने वाले व पंचायतों से गायब रहने वाले सचिवों की खबर क्यो नही लेता है ?  रोज गुरूर जनपद के नाम लेकर जनता की सेवा से भागने वाले सचिवों के बारे में आला अधिकारियों को कितनी जानकारी है ? लिलाबंर बंजारे अर्जुनी पंचायत, नरेश सिन्हा धोबनपुरी पंचायत भुपेंद्र साहु कवंर पंचायत, विजय यादव परसुली पंचायत, खिलानंद पटेल गंगोरीपार पंचायत ये सब अकसर गुरूर शराब दुकान से लगे आम के बगीचे में रोज शराब की जाम छलकाते हुए नजर आते हैं, जबकि पंचायतों में इनकी उपस्थिति नगण्य रूप में रहती हैं, जिसके चलते जनता के काम कई दिनों तक इनके शराब की खुमारी उतरने तक लटकी रहती है। 


बीते दिनों शिवप्रसाद नेताम जिनकी पत्नी चंद्रिका नेताम मार्केटिंग सोसायटी डायरेक्टर गुरूर निवासी गंगोरीपार जनपद पंचायत गुरूर का पिछले दिनों स्वर्गवास हुआ है। अब शिवप्रसाद नेताम अपनी पत्नी के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बिते तीन दिनों से पंचायत के चक्कर लगा रहा है और सचिव महोदय खिलानंद पटेल पंचायत की जगह शराब दुकान से लगे आम के बगीचे में गला तर करने में लगा है। 
कुछ सालों पहले गुरूर जनपद क्षेत्र के कुछ पंचायत सचिवों पर कुछ इसी तरह से आरोप लगे थे जिसके बाद में सभी को तत्कालिक गुरूर जनपद सीईओ रविकुमार ने उन्हें विकासखंड क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाया था। 

विनोद नेताम

कुछ इसी तरह की कार्यवाही करने की और जरुरत है ताकि जनता की सेवा शब्द की मायने इन्हे मदहोशी के आलम में भी ज्ञात हो एक तरफ चार माह से वेतन नहीं मिलने के कारण जिला के कई पंचायतों के सचिवों की हालत खराब होने की दिशा में है तो  वंही जनता के मेहनत की पैसों को शराब पीकर मुतने वाले सचिवों की सेहत दिनों दिन सेहत मजबूत हो रही है आखिर शराबी सचिवों सही मायने में जनता की सेवा कर पाता होगा यह कहना मुश्किल है जिसके बावजूद शासन इनके ऊपर कार्यवाही नहीं करती है।