किसी भी हालात में लौटने को नहीं राजी दोनों हाथी, पश्चिम बंगाल के दल एवं वन विभाग को दे रहे चकमा, रात में खायें कटहल


अनूपपुर/04/जुलाई/शशिधर अग्रवाल/अनूपपुर जिले में विगत 19 दिन से छत्तीसगढ़ राज्य से आए दो नर हाथियों ने निरंतर अनूपपुर एवं जैतहरी क्षेत्र के जंगलों में दिन में ठहरने बाद रात होते ही आसपास के ग्रामीण अंचलों में पहुंचकर ग्रामीणों के घरों में तोड़फोड़ कर रहे हैं वहीं खेत एवं बांड़ी में लगे विभिन्न तरह के फलों तथा फसलों को अपना आहार बना रहे हैं।

हाथियों को जिले से बाहर किए जाने हेतु प्रशासन एवं वनविभाग द्वारा निरंतर नए-नए तरीके से प्रयोग किया जा रहा है किंतु दोनों हाथी वापस जाने को किसी भी तरह तैयार नजर नहीं आ रहे हैं विगत रात हाथियों ने दुधमनिया बीट के जंगल से देर रात निकल कर बांका गांव में एक किसान की बांड़ी में लगे कटहल के फलों को पूरी रात अपना आहार बनाया तथा खेत में भरे पानी में लोट-लोट कर नहाते हुए सुबह होने पर केकरपानी गांव से लगे जंगल 358,357 में विचरण करते हुए देर शाम राजामचान, बधियाटोला होते हुए वर्तमान समय ठेंगरहा एवं गोबरी के बीच विचरण कर रहे हैं।

यह दोनों हाथी पश्चिम बंगाल से आए हो हुल्ला पार्टी के द्वारा भगाए जाने के बाद भी निरंतर सभी को चकमा देते हुए लेन्टना की झाड़ियो, बड़े-बड़े नाला, गढार छुप जाते हैं जिन्हें खोजते-खोजते पहुंचने पर पुनः दोनों हाथी दूसरे स्थान पर चले जा रहे हैं, वही विगत तीन दिनों से निरंतर दिन एवं रात में अत्यधिक वर्षा होने के कारण बीच जंगलों में पैदल एवं खेतों में चलना सभी के लिए मुश्किल हो रहा है गुरुवार की देर शाम यह दोनों हाथी किसी और अपना रुख करेंगे यह देर रात होने पर ही पता चल सकेगा हाथियों के विचरण पर अनूपपुर वन मंडलाधिकारी सुश्री श्रद्धा पेन्द्रे वनविभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों के साथ निरंतर नजर बनाए हुए हैं,वही ग्रामीणों को हाथियों के पीछे-पीछे नहीं चलने,हाथियों का रास्ता नहीं रोकने,अपने खेतों व घरो के आसपास गैर कानूनी सामग्रियों का उपयोग न किए जाने जैसी सलाह दी जा रही है।

विगत दिनों कुछ गांव में कूछ ग्रामीणों द्वारा हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए खेतों एवं घरों के आसपास आपत्तिजनक सामग्रियों का प्रयोग किए जाने की गोपनीय सूचना पर वनविभाग के द्वारा डांग एस्कॉर्ट शहडोल के माध्यम से जगह-जगह गोपनीय तरीके से परीक्षण कराए जाने की कार्यवाही भी की जा रही है ताकि ग्रामीणों की नासमझी से फिर कहीं कोई बड़ी दुर्घटना ना हो सके।