बालोद : भारत निश्चित तौर पर संसार की सबसे बड़ी मजबूत लोकतंत्रात्मक ढांचा के लिए संसार भर में विख्यात है । भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत चार स्तंभ की बात कही जाती है, लेकिन चारों स्तंभों को लेकर आम जनता के मध्य विरोधाभास है जिसके चलते देश की आम जनता अक्सर इन चारों स्तंभों के बारे में कभी कभी नकारात्मक विचारधारा प्रकट करते हुए गुस्सा जाहिर करता है। बहरहाल भारत लोकतांत्रिक व्यवस्था की जनक मानी जाती है , ऐसे में आम जनता को उम्मीद रहती है की भारतीय संविधान में निहित नागरिकों के मौलिक अधिकारों का दोहन नागरिक बैगर रोक-टोक के कर सके।
पंचायती राज व्यवस्था लोकतंत्र की प्रथम सीढ़ी मानी जाती है, लेकिन लोकतंत्र की प्रथम सीढ़ी पर भ्रष्ट तंत्र हावी हो तब हमारी सारी धारणा और समाजिक परिकल्पना धरी की धरी रह जाती है ,जिसकी बानगी हमें छत्तिसगढ़ राज्य अंतर्गत बालोद जिला में देखने को मिल रहा है। जिला के गुरूर जनपद पंचायत अंतर्गत विभाग में पदस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की जमकर मनमानी जारी रहने की चर्चा इन दिनों गर्म है। खुलेआम भ्रष्टाचार संबंधित विषयों पर हाल के दिनों में दैनिक अखबारों पर खबर प्रकाशित हुई थी।
खबर लगने के बाद गुरूर जनपद पंचायत के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गले में हड्डी अटक सी गई थी , लगातार बैठकों का दौर जारी रहा, जिसके बाद भी आखिर में क्या हुआ किसी को कुछ पता नहीं। संबंधित जनपद पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने खबर प्रकाशित होने के बाद से लगातार चुप्पी साध रख लिया है , जबकि उनकी जिम्मेदारी है सभी आरोपों का जवाब आम जनता के मध्य स्पष्ट रूप से रखें ताकि जनता यह जान सके कि ग्राम पंचायत का मुख्य अंग जनपद पंचायत पाक साफ है।
देखा जाए तो गुरूर जनपद पंचायत क्षेत्र के ज्यादातर जनपद सदस्य गुरूर जनपद पंचायत में खुलेआम मनमानी की बात कई दफ्फा आफ कैमरे और आन कैमरे में कह चुके है । इससे पहले गुरूर जनपद मुख्यकार्यपालन अधिकारी को हटाने हेतू गुरूर जनपद पंचायत क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बगावती सुर अपनाया था जिसके बाद भी वर्तमान मुख्यकार्यपालन अधिकारी अभी भी गुरूर जनपद पंचायत के जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा कर रखे हुए है। हांलाकि जिस तरह से पूर्व में उनका विरोध हुआ उस हिसाब से उन्हें अन्य जगह भेज देना उचित होता, लेकिन शासन और प्रशासन ने उन्हें गुरूर जनपद पंचायत अंतर्गत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में बनाये रखा जिसके पिछे कई कारण हो सकते है।
बहरहाल क्षेत्र की आम जनता को कारणों से कोई लेना-देना नही है , लेकिन जो आरोप लगाया गया है जनपद पंचायत गुरूर के जिम्मेदार अधिकारियों पर उस विषय को लेकर जानने की इच्छा जरूर रखते हैं । अब देखना यह है , कि पूर्व में किए गए मुख्यकार्यपालन अधिकारी हटाओ धरना प्रदर्शन की तरह यह मामला भी पिछे दरवाजे से आउट आफ मेटर ना हो जाए !