General Assembly : गोंड़वाना गोंड़ महासभा छत्तीसगढ़ का रूढ़ीजन्य विधि से 9 जनवरी को होगा गठन।


छत्तीसगढ़
में कुल आबादी का 25% गोंड समाज की आबादी है। लगभग 52 लाख जनसंख्या वाला गोंड समाज विभिन्न क्षेत्रीय समुदाय में बंटकर रह गया है। आज बस्तरिहा, रायपुरिहा, बिलासपुरिहा, सरगुजिहा ऐसे ही कई छोटे-छोटे टुकड़ों में समाज विभाजित है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्य सभी समाज तेजी से संगठित हो रहे हैं। जिससे इन सभी समाजों में एक राज्य से दूसरे राज्य में शादी विवाह संपन्न हो रहे हैं। विश्व में उत्कृष्ट संस्कृति के धनी गोंड समाज पूरे देश में समाज की गोत्र, गढ़, देव-व्यवस्था, धर्म-संस्कृति ,रिती-रिवाज , पूजा-प्रक्रिया लगभग एक समान है। लेकिन समाज में स्थानीय स्तर पर जटिल सामाजिक प्रक्रिया के कारण एक जिला से दूसरे जिला में वैवाहिक लेन-देन कर पाना मुश्किल होता है। ध्रुव गोंड़, राज गोंड़, अमात गोंड़ आदि कई भागों में विभाजित समाज सभी अपने अलग-अलग सामाजिक व्यवस्था बंधे हुए है। 

धमतरी छत्तीसगढ़ में आहूत राष्ट्रीय महासभा 7,8,9 जून 2009 में सामाजिक एकीकरण हेतु पारित प्रस्ताव के बाद भी कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिसमें ध्रुव गोंड़, राज गोंड़, अमात गोंड़ आदि में वैवाहिक लेनदेन हो गया तो समाज द्वारा भारी भरकम दंड लिया जाता है। और यदि दंड नहीं दिए तो उन्हें प्रताड़ना स्वरूप समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है। पुराने समय के हिसाब से क्षेत्रवाद भले ही सही रहा होगा। क्योंकि उस समय आवागमन एवं संवाद स्थापित करने का दायरा सीमित था। लेकिन आज के परिपेक्ष्य में यह कहीं से भी उचित नहीं लगता है। आज  समाज आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षणिक एवं सभी स्तर पर विकास की ओर अग्रसर है। लेकिन सामाजिक स्तर पर संगठित नहीं हो पा रहे हैं। 1945 में आयोजित अखिल गोंडवाना गोंड महासभा का छठवां अधिवेशन मे भी समाज को संगठित करने के लिए गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी। 

छत्तीसगढ़ में गोंड समाज के एकीकरण हेतु आदिशक्ति मां अंगारमोती प्रांगण गंगरेल, जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़ में सरगुजिहा, बस्तरिहा, धमधागढ़ महासभा, ध्रुव गोंड़, अमात गोंड़, राज गोंड़ सहित अनेकों संगठनों को आमंत्रित कर  दिनांक 7 ,8, 9 जून 2009 को छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड़ महासभा का गठन किया गया था। इस अवसर पर पूरे छत्तीसगढ़ सहित देश भर के सामाजिक मुखिया गण एकजुटता के साथ समाज को आगे बढ़ाने हेतु 26 बिंदु का सामाजिक प्रस्ताव पारित किए थे। फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में महासभा के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का कार्य प्रारंभ हुआ। जिसके कारण  समाज धीरे-धीरे संगठित हुआ है। समय-समय पर समाज को संगठित करने कई बुद्धिजीवियों ने अनेक प्रयास किए लेकिन संतोषजनक सफलता नहीं मिली। आज समाज को संगठित करने, क्षेत्रवाद को खत्म करना तो सभी चाहते हैं लेकिन अभी भी व्यापक ठोस पहल नहीं हो पा रहा है।

विश्व पटल पर लिख दें, अखंड एकता का संदेश।

 जय सतत प्रवाहिनी नरमदे, सत्य रहे बस शेष।।

दे शक्ति हमें बड़ादेव, अनन्त का गौरव गान करें।

 निरत रहे स्वधर्म पर, कुल मर्यादा का मान करें।।

गोंडवाना गोंड महासभा के संस्थापक संरक्षक श्री बी पी एस नेताम एवं वरिष्ठ हित-चिंतकों के सलाह से समाज को एकजुट करने हेतु वर्तमान समय में महासभा के कुछ पदाधिकारियो की मृत्यु,कुछ पदाधिकारियो के असक्त होने एवं महासभा का कार्यकाल पूर्ण होने के कारण गोंडवाना गोंड महासभा छत्तीसगढ़ का नए सिरे से नई कार्यकारिणी गठन/चयन हेतु प्रयास किया जा रहा है। 

*अमित मंडावी, पत्रकार। 
इस महत्वपूर्ण आयोजन में प्रदेश भर से प्रत्येक जिलों से 5 -5 प्रतिनिधि सहित समाज प्रमुख, संस्थापक गण, सभी राजनीतिक दल के प्रमुख राजनेता, अधिकारी /कर्मचारी गण, बुद्धिजीवीयों को अमूल्य समय निकालकर रूढ़ीजन्य विधि से दिनांक 9 जनवरी 2022, दिन-रविवार, दोपहर 12:00 बजे, स्थान:- गोंडवाना भवन, टिकरापारा, रायपुर में गोंडवाना गोंड महासभा छत्तीसगढ़ के गठन/चयन हेतु उपस्थिति की अपील सोनऊ राम नेताम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,लोकेंद्र सिंह राष्ट्रीय महासचिव,आर एन ध्रुव राष्ट्रीय सचिव,मोहन सिंह टेकाम सरगुजा द्वारा गई है।