Disorder : छेरछेरा पर्व में कोठी खाली...!

बालोद : अन्न दान का महापर्व छेरछेरा सोमवार यानी आज धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है। इस दौरान लोग घर-घर जाकर लोग अन्न का दान माँगते हैं। वहीं गाँव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं। लोक परंपरा के अनुसार पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छेरछेरा का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुबह से ही बच्चे, युवक व युवतियाँ हाथ में टोकरी, बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा माँगते हैं। वहीं युवकों की टोलियाँ डंडा नृत्य कर घर-घर पहुँचती हैं। धान मिंजाई हो जाने के चलते गाँव में घर-घर धान का भंडार होता है, जिसके चलते लोग छेर छेरा माँगने वालों को दान करते हैं। 


बहरहाल ये तो हुई पर्व की बात अब हम बात कर लेते है इस पर्व में खाली कोठी की बात, छत्तीसगढ़ राज्य को धान की कटोरा के रूप में दुनिया पहचानी है। धान को घरों में सुरक्षित रखने हेतू प्रदेश के ज्यादातर किसानो के घरों में कोठी बनाई जाने की परंपरा आज भी देखी जा सकती है, लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को इस बख्त धान खरीदी प्रक्रिया को मजबूती से निभाने की बात कहते हुए पंजीकृत किसानों की एक-एक दाना खरीदने की बात कह रही है। छत्तीसगढ़ सरकार हर वर्ष प्रदेश भर में अलग अलग धान खरीदी केंद्र बना कर रखे हुए है, जहाँ प्रदेश के किसान अपने मेहनत से उगाई हुई धान की फसल को ले जाकर बेचते है। 

ज्ञात हो कि, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार प्रदेश में धान खरीदी प्रक्रिया को सफल बनाने हेतू धान खरीदी केन्द्रों पर हर वर्ष करोड़ रुपए खर्च करती है जिसके चलते किसानों से खरीदे हुए धान सुरक्षित मिंलिंग हेतू परिवहन हो सके, लेकिन प्रशासनिक अकर्मण्यता के चलते बालोद जिला के ज्यादातर धान खरीदी केन्द्रों में किसानों से खरीदे हुए धान बेमौसम बारिश में भीगते हुए मिले। 


कांकेर लोकसभा सांसद मोहन मंडावी जिला के डी एम ओ पर धान खरीदी केंद्र की अव्यवस्था पर बिफर चुके है और उनका बिफरना कोई ग़लत नही है जिला के आला अधिकारियों ने पिछले साल में हुई गलती जिस पर सेवा सहकारी समितियों की हालत पतली हो गई थी एक बार और वही गलती दुहराते हुए नजर आए बारिश से सैकड़ों क्विंटल धान की हुई बर्बादी भीगे हुए धान के बोरों से निकलने लगा है अंकूर, सार्टेज की समस्या से कैसी निपटेगी जिला प्रशासन सरकार को होगी भारी राजस्व की नुकसान।
अमित मंडावी