सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ का विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन, माँग पूरी नहीं होने पर दिया अल्टीमेटम।

कांकेर। सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ के आव्हान पर सर्व आदिवासी समाज और युवा संगठन ब्लॉक के द्वारा अनिश्चितकालिन धरना प्रदर्शन किया. धरना प्रदर्शन में सिलगेर गोलीकांड में मारे गए निर्दोष आदिवासी ग्रामीण को तत्काल मुआवजा देने की मांग की गई। 

बस्तर संभाग में नक्सली समस्या का समाधान, भानुप्रतापपुर के कन्हैयालाल गावडे की जमीन खरीदी बिक्री की सही जांच। गढिया पहाड़ स्थानीय निवासियों की आराध्य पहाड़ी को छेड़छाड़ न करे। आदिवासी के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण - पत्र धारियों पर उचित कार्रवाई। आदिवासी समाज की बहन बेटियों को बहला फुसलाकर गैर आदिवासी द्वारा शादी करने वालों पर कार्रवाई। अन्य मुद्दों व 13 सूत्रीय मांगो को लेकर अनिश्चितकालिन धरना प्रदर्शन का आगाज किया। इस प्रदर्शन में युवा प्रभाग के सैकड़ों लोग उपस्थित थे। 

क्या मांग है आदिवासियों की मांग


सुकमा के ग्राम सिलगेर में शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे ग्रामीणों के ऊपर अंधाधुंध गोलीबारी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर परिवार को न्याय दिया जाए। मृतक के परिजन को 50 लाख और घायलों को 5 लाख एवं मृतक परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दी जाए। बस्तर संभाग की नक्सल समस्या पर स्थायी समाधान के लिए सभी पक्षों से समन्वय स्थापित कर स्थाई समाधान और राज्य सरकार द्वारा शीघ्र पहल करें।

पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में जब तक माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन समाप्त नहीं हो जाता; तब तक किसी भी हालत में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदोन्नत रिक्त पदों को नहीं भरे जाने, उसे सुरक्षित रखे जाने और जितने सामान्य वर्ग के अधिकारी/ कर्मचारी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पदों पर नियम के खिलाफ पदोन्नत हुए उसे तत्काल पदावनत किया जाकर पदोन्नति नियम 2003 और आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 6; नियम 1998 समय - समय पर जारी निर्देशों का उल्लंघन कर नियम विरूद्ध पदोन्नति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और धारा 6 आरक्षण अधिनियम 1994 के तहत दण्डात्मक कार्रवाई की बात कही है। शासकीय नौकरी में बैकलॉग और नई भर्तियों पर आरक्षण रोस्टर लागू किया जाएं। 

पांचवी अनुसूची क्षेत्र में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती में मूलनिवासियों की शत- प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए। संभाग एवं जिला स्तर पर भर्ती कराया जाए। 

प्रदेश में खनिज उत्खनन के लिए जमीन अधिग्रहण की जगह लीज में लेकर जमीन मालिक को शेयर होल्डर बनाए जाए। गांव की सामुदायिक गौण खनिज का उत्खन्न एवं निकासी का पूरा अधिकार ग्राम सभा को दिया जाए। ग्राम सभा के द्वारा स्थानीय आदिवासी समिति के माध्यम से बेरोजगार युवाओं को खनि पट्टा दिया जाए। 

फर्जी जाति मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाए। छत्तीसगढ़ राज्य के 18 जनजातियों की मात्रात्मक त्रुटि में सुधार किया जाकर उन्हें जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाए। अनुसूची में उल्लेखित जनजातियों का जाति प्रमाण - पत्र जारी नहीं करने वाले संबंधित अधिकारी पर दण्डात्मक कार्रवाई किया जाए. छात्रवृत्ति योजना में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए आय की 2.50 लाख की पात्रता सीमा समाप्त किया जाए। 

आदिवासी समाज की लड़कियों से अन्य गैर आदिवासी व्यक्ति से शादी होने पर उक्त महिला को जनजाति समुदाय के नाम से जारी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर जनप्रतिधिनित्व, शासकीय सेवा तथा जनजाति समुदाय की जमीन खरीदी पर रोक लगाने के लिए संबंधित अधिनियमों में आवश्यक संशोधन किया जाए। 



आदिवासियों पर उत्पीड़न जैसे- जमीन का हस्तांतरण, महिला एवं बच्चों पर अत्याचार, हत्या, जातिगत अपमान पर अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पीड़ित की प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। पीड़ित को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए अजाक थाना के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इस पर राज्य सरकार कड़ाई से विशेष निर्देश जारी कर पालन करवाया जाए। वन अधिकार कानून 2006 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए। पेसा कानून की क्रियान्वयन नियम तत्काल बनाकर अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाए। 


अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों को नियम विरूद्ध नगर पंचायत बनाया गया है। इन नगर पंचायतों को विखण्डित कर दोबारा से ग्राम पंचायत में परिवर्तित किया जाए. 13 बिन्दुओं पर राज्य सरकार गंभीरतापूर्वक विचार कर 15 दिवस के अन्दर निर्णय कर समाज को समुचित माध्यम से सूचित किया जाए।