वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी अभियान के तहत मोदी सरकार की मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ तथा कोरोना महामारी के दौर में आम जनता को राहत देने की मांग पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और उसके जन संगठन 26 जून को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करेंगे। माकपा ने मजदूरों और किसानों के देशव्यापी आंदोलन के साथ भी एकजुटता जताई है और तीन कृषि विरोधी कानूनों और चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग की है।
माकपा नेता ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और खाद्यान्न को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर करने के कारण महंगाई ने पिछले 25 सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिया है और लोगों का पेट भरना मुश्किल हो गया है। कोरोना महामारी के कारण करोड़ों लोगों को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ा है, गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों की संख्या दुगुनी हो गई है और चार लाख लोगों की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद यह सरकार इस संकट को आपदा मानकर अपने देश के नागरिकों को राहत देने के लिए तैयार नहीं है। उसने कोरोना मौतों से पीड़ित परिवार को कानून के अनुसार चार लाख रुपये मुआवजा देने से इंकार कर दिया है, गरीब परिवारों को राशन किट देने के लिए तैयार नहीं है और न ही उन्हें कोई आर्थिक मदद दे रही है। वास्तव में यह स्वतंत्र भारत की सबसे संवेदनहीन सरकार है।
sanjay parate |
पराते ने कहा कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कल 26 जून को पूरे प्रदेश में माकपा और जन संगठन मिलकर इन नीतियों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करेंगे और महंगाई को कम करने तथा कोरोना प्रभावित परिवारों को बड़े पैमाने पर राहत देने की मांग करेंगे। माकपा ने कल विभिन्न किसान संगठनों व मोर्चों द्वारा आयोजित किये जा रहे प्रतीकात्मक राजभवन मार्च का भी स्वागत व समर्थन किया है और मजदूरों व किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता जाहिर की है। माकपा ने आशा व्यक्त की हसि कि आने वाले दिनों में इस संघर्ष को और मजबूत किया जाएगा।