बिना रकबा संशोधन, फर्जी गिरदावरी की शिकायत। - PRACHAND CHHATTISGARH

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Monday, March 1, 2021

बिना रकबा संशोधन, फर्जी गिरदावरी की शिकायत।

गरियाबंद तहसील कार्यालय का मामला ...
रियाबंद तहसील अंतर्गत ग्राम जड़जड़ा व पेंड्रा में खरीफ़ वर्ष 2020 - 21 में पटवारी द्वारा बहुत से किसानों की फर्जी गिरदावरी कर दी गयी है, जिसमें वन पट्टा , पड़त भूमि में भी धान बोआई दर्शाया गया है। असिंचित भूमि को सिंचित बताया गया है। पटवारी द्वारा प्रस्तुत सूची के अनुसार ऐसे किसानों ने धान उपार्जन समिति में पंजीयन करवाया और धान बेचा है जिन्होंने धान बोया ही नहीं है। 

किरीट ठक्कर

इस मामले का खुलासा करते हुए ग्राम जड़जड़ा पंचायत छिंदोला पोस्ट मरोदा निवासी एक आदिवासी नवयुवक लालजी मरकाम ने आरोप लगाया है की पटवारी , तत्कालीन तहसीलदार व फर्जी किसानों की मिली भगत से फर्जी रकबा पंजीयन किया गया तथा समितियों में धान बेचा गया है। लालजी मरकाम ने कलेक्टर के नाम लिखित शिकायत कर निष्पक्ष जांच तथा सम्बन्धितों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

      लालजी के अनुसार गांव में पटवारी द्वारा स्वयं मौके पर गिरदावरी कार्य ना करते हुए अपनी जगह कोटवार भेवन सोनवानी को भेजा और स्वयं टेबल पर बैठे बैठे फर्जीवाड़ा किया गया। मरकाम ने आठ से अधिक किसानों के नाम, खसरा नंबर व रकबा, सिंचित, असिंचित, पड़त भूमि की जानकारी लिखित में दी है, जिन्होंने खरीफ़ सीजन में कोई फसल नही ली या अगर ली भी तो उनका बोनी का रकबा कम रहा था। लालजी मरकाम का दावा है कि यदि निष्पक्ष जांच कर भौतिक सत्यापन किया जाये तो और भी फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। इस तरह बिना रकबा संशोधन मिली भगत से फर्जी तरीके से राजस्व व वन पट्टे की भूमि का पंजीयन कर धान बेचा गया और शासन को लाखों रुपयों का नुकसान पहुँचाया गया है।  

ऐसे किया फर्जीवाड़ा  

मरकाम के अनुसार यदि किसी किसान की 5 एकड़ भूमि है किंतु उसने सिर्फ दो एकड़ में फसल लगाई है , तो भी उसका पूरे 5 एकड़ का पंजीयन किया गया और पूरे 5 एकड़ के हिसाब से समितियों में धान बेचा गया। इस तरह तीन एकड़ की फसल अर्थात 45 क्विंटल धान कहाँ से और कैसे बेचा गया ये विचारणीय और जांच का विषय है। उसने किसानों के नाम सहित उदाहरण प्रस्तुत किया , जैसे - कुंती / बोधन खसरा नंबर 495 रकबा 0.84 हेक्टेयर , राजस्व पट्टे की असिंचित भूमि है जिसे पटवारी रिकॉर्ड में सिंचित  बताया गया , यह एक पड़त भूमि है धान बोने योग्य नहीं है , भौतिक सत्यापन से स्पष्ट हो जायेगा। किन्तु इसका पंजीयन किया गया और धान बेचा गया।

गिरदावरी के सम्बंध में राज्य सरकार के निर्देश 

राज्य शासन के दिये निर्देशो के तहत गिरदावरी का कार्य 01 अगस्त 2020 से प्रारम्भ कर 20 सितंबर 2020 तक पूर्ण किया जाना था। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर छ ग द्वारा गिरदावरी कार्य शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने के संबंध में कड़े निर्देश दिये गए थे। निर्देशो के तहत खरीफ़ विपणन वर्ष 2020 - 21 में समर्थन मूल्य पर धान / मक्का उपार्जन के लिए किसान पंजीयन हेतु शुद्धतापूर्ण गिरदावरी कार्य किया जाना था। विभिन्न बिन्दुओ में दिये गये निर्देशों के साथ-साथ बिंदु क्रमांक 04 में स्पष्ट निर्देश है कि, खसरे में अंकित रकबे से, अनुपयोगी बंजर भूमि, पड़त भूमि, निकटवर्ती नदी नालों की भूमि, निजी तालाब / डाबरी की भूमि, कृषि उपयोग हेतु बनाये गये पक्के / कच्चे शेड आदि की भूमि को पंजीयन से कम कर दिया जाये। 

गिरदावरी से क्या फर्क पड़ता है

राजस्व अभिलेखों की शुद्धता, समर्थन मूल्य पर धान व मक्का उपार्जन, राजीवगांधी किसान न्याय योजना, राजस्व पुस्तक परिपत्र 6 (4) अंतर्गत आर्थिक अनुदान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियांवन्यन गिरदावरी की शुद्धता पर निर्भर करता है।

 


 

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