वन विभाग के साथ राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित कहवा पेड़ों की कटाई ! - PRACHAND CHHATTISGARH

Home Top Ad

 



 

Post Top Ad

Wednesday, November 4, 2020

वन विभाग के साथ राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित कहवा पेड़ों की कटाई !

बालोद। जिला के ग्रामीण अंचलों में धान कटाई के साथ ही लकड़ी के ठेकेदार भी सक्रिय हो चुके हैं। इन दिनों धड़ल्ले से लकड़ियों की कटाई हो रही है और जिम्मेदार आंख बंद कर सो रहे हैं। आधी रात को गुपचुप ढंग से लकड़ियों की सप्लाई की जाती है और आरा मिलों व रायपुर-भिलाई तक पहुंचाया जाता है। अवगत हो कि प्रदेश में सबसे ज्यादा आरा मिल दुर्ग जिलान्तर्गत भिलाई में ही है जहाँ सबसे ज्यादा कहवा लकड़ी की खपत होती है। इस पूरे मामले में वन विभाग के जिम्मेदारों और पटवारी की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता।



ग्रामीण अंचलों में सक्रिय है दलाल

ग्रामीण अंचलों में लकड़ियों के दलाल पूरी तरह सक्रिय हैं, जो किसानों से संपर्क कर उनके खेतों से प्रतिबंधित लकड़ियों को मशीनों से काटकर महंगे दामों में आरा मिल मालिको को बेच रहे हैं। जिला में लगभग 1 दर्जन आरा मिल ऐसे हैं जहां ग्रामीण अंचलों से लकड़ियां पहुंचने शुरू हो चुके है। वहीं ग्रामीण अंचलों के कई आरा मिलों में प्रतिबंधित लकड़ियों का होता है व्यापार।

रात में होता है व्यापार

आधी रात को लकड़ी का यह कारोबार शुरू हो जाता है। दिन भर गाड़ियों में लकड़ियों को भरकर उसे छुपा कर रख दिया जाता है और आधी रात के बाद ही इसे मिलों तक पहुंचाया जाता है ताकि किसी तरह की कोई कार्रवाई न हो।

कहवा की डिमांड ज्यादा


कहवा एक प्रतिबंधित पेड़ है। मार्केट में सबसे ज्यादा मांग कहवा की लकड़ी की ही रहती है। फसलों की कटाई के साथ ही वाहनों को खेतों तक जाने का रास्ता मिलता है और किसान भी लकड़ियों को आसानी से बेच देते हैं जिसके कारण मिल संचालक इसका फायदा उठाते हैं। वन विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जिला के जितने भी लकड़ी के दलाल है; उनकी गाडिय़ां पकड़े जाने पर वह छुटते ही वापस लकड़ी तस्करी करना चालू कर देता है। 

विनाेद नेताम
आखिर पकड़े जाने के बाद भी फिर से लकड़ी तस्करी करने की हिम्मत जनाब यूँ ही नहीं आती हैं। कोर्ट से लेकर सरकार में रहने वाले पार्टी के नेताओ ने पेड़ पौधौ की जरूरत और प्रकृति की सुंदरता की बात कहते हुए हमारे पाठकों ने अक्सर सुना होगा लेकिन यह सिर्फ कहने भर की बात है यह कहा जाए तो इसमे कोई अतिश्योक्ति नही होगी क्योंकि पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कभी भी रुक ही नही पाई है।




No comments:

Post a Comment

Total Pageviews

Post Top Ad