कोरोना के चलते प्रदेश के प्रमुख त्यौहार तीजा-पोला लॉक डाउन।

गांवों में हो रही मुनादी : बहु-बेटियों को तीज-पोला में लाने-ले-जाने लगी पाबन्दी, प्रशासनिक सहमति का अंदेशा 


बालोद। प्रदेश में बढ़ती कोरोना के संकट को देखते हुए लोगों ने बहन बेटियों के साथ बहुओं के मायके आने-जाने पर लगाई रोक जिसमें प्रशासनिक सहमति की बात भी कही जा रही है। प्रदेश में कोरोना के लगभग 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुकी है, जिसमें से एक्टीव केस की संख्या लगभग तीन हजार के करीब है।

छत्तीसगढ़ के कई गांव में तीज पर बेटियों को न बुलाने और बहुओं को तीजा न भेजने की मुनादी शुरू हो गई है। शहरी इलाकों में कोरोना के तेजी से फैल रहे संक्रमण को लेकर गांव की पंचायतें अलर्ट हो गई है। पंचायतों ने फैसला लिया है कि; तीजा-पोला में किसी के घर बेटियों को लाया नहीं जाएगा और बहुओं को भी नहीं भेजा जाएगा। रक्षाबंधन के दिन से ही मुनादी शुरू हो गई। गांव में कोटवार गली-गली जाकर हांका लगा रहे हैं कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए बेटियां और बहु अपने सुसराल में ही व्रत करेंगीं। एक के बाद एक गांव में इस फैसले की खबर फैलने से पंचायतों में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद, बालोद, राजनांदगांव के कई गांवों में इस बारे में फैसला लिया जा चुका है। कुछ गांवों में पड़ताल के दौरान बलौदाबाजार के ससहा गांव के धर्मेंद्र साहू ने बताया कि उनके गांव में कोरोना को देखते हुए इस बार बेटियों को तीजा पर नहीं लाने का फैसला हुआ है। पंचायत के इस फैसले पर सब सहमत हैं। बेटियों को भी गांव न बुलाने का फैसला सबने मान लिया है।


तीजा लाने वालों पर होगा जुर्माना

तीजा लाने वालों पर पंचायत जुर्माना लगाने की तैयारी कर रही है। पंचायत के आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। इतना ही नहीं तीजा बुलाने और भेजने वाले परिवार के लिए गांव की अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर 6 महीने तक पाबंदी लगा दी जाएगी। कुछ गांव में ये भी मुनादी करवा दी गई है कि अगर कोई तीजा पर मायका आता-जाता है तो उसे गांव के स्कूल में 14 दिनों तक क्वारेंटाइन किया जाएगा। कोरोना टेस्ट कराने के बाद ही घर आने दिया जाएगा। उसके बाद घर पर भी क्वारेंटाइन रहना होगा।


रक्षाबंधन में नहीं जाने दिया बहनों को

बालोद और राजनांदगांव के कुछ गांव में तो रक्षाबंधन में भी बहनों को भाई के घर तक जाने नहीं दिया गया। वहां अभी से पाबंदी लगा दी गई है। राजनांदगांव के जराही गांव ऐसी ही पाबंदी है। गांव के मिथलेश साहू ने बताया कि पंचायत ने फरमान जारी किया है कि कोई दूसरे गांव नहीं जाएगा। रक्षाबंधन पर भी किसी को जाने नहीं दिया गया है।

साड़ी-फलाहार के लिए भेजें नगदी

पंचायत ने फैसला किया है कि तीजा में बेटियों के लिए साड़ी, सिंगार और फलाहार के लिए नगद रकम भेज दे। कोई यह सामान छोडऩे के लिए भी दूसरे गांव नहीं जाएंगे। चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर दे या ऑनलाइन पेमेंट कर दें। त्योहार की रोटी-पीटा भी छोडऩे नहीं जाना है। कोरोना को रोकने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी पड़ेगी।

गांव की एंट्री पर होगी निगरानी

कई पंचायतों ने त्योहार के मद्देनजर गांव के एंट्री वाले रास्ते पर निगरानी के लिए कोटवार और अन्य लोगों का पहरा बिठा दिया गया है। गांव में बाहर से आने वालों का नाम, पता और आने का कारण पूछा जा रहा है। कुछ गांव में बिना कारण रिश्तेदारों से मिलने आने वालों को अपील की जा रही है कि अभी रिश्तेदारों से मिलने-जुलने का समय नहीं है। जान को जोखिम में न डालें वंही प्रदेश के गृहणीयो ने सरकारी क्रार्यक्रमो के साथ बाजारों में एवं शराब के दुकानों में शराबी खुलेआम सोशल डिस्टेंस की धज्जी उड़ाते हैं जिन पर कभी भी कोई कोटवार मुनादी नहीं करता है आखिर उनके कोरोना वायरस के लिए बनाई गई नियमों की पालन सही मायने में हो रही है। बहरहाल प्रदेश के कई गांवों में इसी तरह की मुनादी की चलन आज की मौजूदा दौर में भी देखी जा रही है जो की आने वाले दिनों में तीजा के पर्व को मनाने वाली महिलाओं के लिए यादगार बनकर रह गई है।

विनोद नेताम संवाददाता