ये कहानी उस समाज की है जो सात दिन बाद बच्ची पूजने का नाटक करेगा।

सागर ज़िले के रहली गांव की बच्ची अब शहडोल के बाल सुधार गृह में है। इस बच्ची ने मंदिर की दान पेटी से 250 रुपए चुरा लिए थे। चोरी की वजह पापी पेट था। बच्ची के छोटे भाई-बहन भूख़े थे और घर में आटा ना था। पैसे और खाने का कहीं से कोई इंतज़ाम नहीं हो पाया। भूख़ से तड़पते अपने छोटे भाई-बहनों के लिए चोरी कर ली थी। चोरी पकड़ी गयी और उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया।

मध्य प्रदेश। सागर ज़िले के रहली गांव की बच्ची अब शहडोल के बाल सुधार गृह में है। इस बच्ची ने मंदिर की दान पेटी से 250 रुपए चुरा लिए थे. चोरी की वजह पापी पेट था। बच्ची के छोटे भाई-बहन भूख़े थे और घर में आटा ना था। पैसे और खाने का कहीं से कोई इंतज़ाम नहीं हो पाया। बच्ची की नज़र गांव के मंदिर में लगी दान पेटी पर पड़ी; उसने दान पेटी में से 250 रुपए निकाल लिए, लेकिन उसकी चोरी CCTV ने पकड़ ली।

भूख़़ से बेबस बच्ची इस बात से अनजान थी कि मंदिर में सीसीटीवी लगा हुआ है ,जो उसकी हरक़त को क़ैद कर रहा है। चोरी पकड़ में आते ही बच्ची को भी पकड़ लिया गया। अब उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेज दिया गया है।

बिना मां की बच्ची

इस 12 वर्षीय बच्ची के सिर से तीन साल पहले मां का साया उठ गया था। उसके पिता मज़दूरी करते हैं। मजदूरी के उसी थोड़े-बहुत पैसे से वो अपना और अपने तीन बच्चों का पेट पालते हैं। ये बच्ची छोटे भाई-बहनों के लिए घर में मां की भूमिका निभाती है और फिर बाहर निकलकर रोटी-पानी का इंतज़ाम करती है। इन सब ज़िम्मेदारियों के बीच वो पढ़ने स्कूल भी जाती है। 


पकड़े जाने के बाद बच्ची ने बताया कि उसने छोटे भाई-बहन के खाने के लिए पैसे चुराए थे। पिता ने उसे दो किलो गेहूं पिसवाने के लिए दिए थे। लेकिन उसके गेहूं किसी ने चक्की से चुरा लिए। पिता ने बहुत मुश्किल से जैसे-तैसे दो किलो गेहूं का इंतज़ाम किया था। वो डर गयी कि अब पिता को क्या बताएगी। बस उन्हीं हालात में उसके मन में चोरी की बात आ गयी। वो मंदिर गयी ,दान पेटी की गुंडी बहुत आसानी से खुल गई और उसने उसमें से 250 रूपए निकाल लिए। पुलिस जब उसे पकड़ने घर गयी तो उसने पिता को बताया कि 180 रुपए का आटा ख़रीदने के बाद बाकी बचे 70 रुपए उसने स्कूल बैग में रख दिए हैं।

बच्ची को गिरफ्तार कर अपने घर से 70 किलोमीटर दूर सागर कोर्ट में ले जाया गया। आरोप गृह भेदन और चोरी। जिसके घर आटा न हो वह बाप क्या सागर जा पाता और वकील कर पाता। मैना को अब उसके घर से 375 किलोमीटर दूर शहडोल के बच्चा जेल भेज दिया गया।

दुर्भाग्य न तो वह चक्की वाला पकड़ा गया जिसने उसका आटा गायब किया न ही वे सरकारी कर्मचारी; जो महिला बाल विकास के फ़र्ज़ी आंकड़े भरते हैं। वैसे समाज को उस मंदिर का भी बहिष्कार करना चाहिए।

क्या कोई जबलपुर हाईकोर्ट में रिट के लिए आगे आ सकता है ? आर्थिक व्यय मैं वहन करूँगा।

Pankaj Chaturvedi की वाल से।