CCTV में कैद क्रूरता, आवाज़ उठाने वाले को TI की धमकीमहिला NGO कार्यकर्ता से बदसुलूकी के भी आरोप; ऑडियो वायरल।
HIGHLIGHTS
- बेजुबानों के प्रति क्रूरता का ख़िलाफ़ आवाज उठाने के बदले मिली पुलिस की धमकी
- मनेंद्रगढ़ TI कथित आरोपियों का दिया साथ और कानून के विपरीत की बात
- SP ने भी नहीं किया रिस्पांस, महिला NGO कार्यकर्ता से बदसुलूकी के आरोप
- क्रूरता का CCTV फुटेज और TI का कॉल रिकॉर्डिंग वायरल
मनेन्द्रगढ़। सिविल लाइन इलाके में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ कुछ लोगों ने मासूम पिल्लों और आवारा कुत्तों को बेरहमी से लाठियों और पत्थरों से पीटा। यह पूरी घटना CCTV में कैद हो चुकी है, जिसमें अवनीश पांडे और सौमेंद्र मंडल अपने परिवारों के साथ मिलकर 3 महीने के पिल्लों को मारते हुए दिख रहे हैं। एनिमल वेलफेयर NGO पीपल्स फॉर एनिमल दुर्ग-भिलाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल में एक ऑडियो अपलोड किया है जिसमें ये सारा खुलासा हुआ है।
इस क्रूरता का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि जब एक स्थानीय पशु प्रेमी (animal feeder) ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर डाला और न्याय की माँग की, तो पुलिस ने उल्टा उसी को धमकाना शुरू कर दिया। आरोप है कि, थाना प्रभारी सुनील तिवारी ने न केवल वीडियो हटाने का दबाव बनाया बल्कि कहा कि वह उसे नगर निगम के CEO के साथ मिलकर घर से निकलवा देगा। इसके साथ ही धमकी दी कि अगर किसी को कुत्ता काट लेता है, तो कानूनी कार्रवाई फ़ीडर पर होगी। TI तिवारी ने यहाँ तक कह दिया कि सारे आवारा कुत्तों को फ़ीडर अपने घर में रखे, जो न सिर्फ़ अव्यवहारिक बल्कि गैरकानूनी भी है।
मिली जानकारी के अनुसार, जब फ़ीडर ने जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) से शिकायत करने की कोशिश की, तो उसे और भी अधिक अपमानजनक व्यवहार का सामना करना पड़ा। SP ने न केवल कोई मदद देने से इनकार किया बल्कि एक गर्भवती NGO कार्यकर्ता को भी अपशब्द कहे और धमकाया कि “तुम्हें अभी यहीं से बाहर फेंक दूँगा”। पुराने मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह SP महिलाओं के साथ बदसलूकी के लिए पहले से चर्चा में रहा है।
बड़े सवाल?
- CCTV में दर्ज अपराध के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
- पशु अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना क्या अब अपराध है?
- क्या पुलिस का काम अपराधियों को बचाना और सच बोलने वालों को डराना है?
कानून क्या कहता है?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 (BNS) और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अनुसार, जानवरों को नुकसान पहुँचाना एक अपराध है।
अनुच्छेद 51(G) भारतीय संविधान हर नागरिक को पशुओं की देखभाल करने और उन्हें भोजन देने का मूलभूत अधिकार देता है।
Animal Welfare Board of India (AWBI) की हालिया गाइडलाइन्स के मुताबिक, किसी भी फ़ीडर को भोजन देने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि यह ABC (Animal Birth Control) योजना का हिस्सा है।
किसी भी आवारा कुत्ते को उसकी मूल जगह से हटाना गैरकानूनी है, क्योंकि इससे उनका व्यवहार आक्रामक हो सकता है और यह कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
पशुप्रेमियों की मांग
- आवारा कुत्तों पर हमला करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो।
- पशु प्रेमियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और उन्हें कानूनी संरक्षण मिले।
No comments:
Post a Comment