HARRASMENT : तहसीलदार की भी नही सुनते हल्का पटवारी : उमेंदी राम गंगराले।

पटवारी यशपाल भुआर्य पर लगा किसानों को परेशान करने का आरोप।

बालोद जिला अंतर्गत गुरुर विकास खण्ड के कुछ पटवारियों पर लगा है मनमानी करने का आरोप। आरोप यह भी है कि कुछ पटवारियों के हौसले इतने बुलंद हो गए है कि वे तहसीलदार के आदेशों की भी अवहेलना करने से बाज नही आ रहे हैं।

मिली जानकारी अनुसार विकास खण्ड के एक पटवारी चन्द्रहास साहू जो कि भ्रष्टाचार का काला कारनामा करते हुए एक भूमि स्वामी हक की पट्टे की आवासीय भूमि को बिना भूमि स्वामी के अनुमति एवं सहमति के मनमानी करते हुए किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर बिजली कनेक्शन प्रदाय करने हेतु नजरी नक्शा बना कर चिन्हांकित कर अनुशंसा कर दिया। 

उक्त मामला अभी ठंडा भी नही हुआ है कि हल्का पटवारी क्रमांक 38 के पटवारी यशपाल भुआर्य पर क्षेत्र के किसानों को मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने का लगने लगा है आरोप। उन पर यह भी आरोप है की वे अपने उच्च अधिकारी तहसीलदार के आदेशों का भी अवहेलना करने से  बाज नहीं आ रहे हैं। 

मामले पर आरोप लगाते हुए सेवानिवृत्त ब्लाक शिक्षा अधिकारी एवं जिले के वरिष्ठ आदिवासी नेता तथा ग्राम मुड़पार का किसान उमेंदी राम गंगराले ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि हल्का पटवारी नंबर 38 में पदस्थ पटवारी यशपाल भुआर्य उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है।

उन्होंने बताया कि कृषि कार्य के लिए उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से कृषि ऋण की आवश्यकता है जिसके लिए बी 1 की नकल चाहिए लेकिन भुइयां साफ्टवेयर में खसरा, रकबा एवं नक्शा में पटवारी का डिजिटल हस्ताक्षर अपडेट नही होने के कारण नकल नहीं मिल पा रहा है जिसके वजह से उन्हें कृषि ऋण भी नही मिल पा रहा है। 

किसान उमेंदी राम गंगराले ने अपनी समस्या बताते हुए पटवारी को डिजिटल हस्ताक्षर करने बाबत कई बार निवेदन कर चुका लेकिन पटवारी के द्वारा आज कल करते हुए विगत 21 दिनों से समय पर समय दिया जा रहा है जिसके चलते किसान को मानसिक एवं आर्थिक रूप से नुकसानी उठाना पड़ रहा है। अंततः थक हार कर किसान तहसीलदार हनुमंत श्याम से गुहार लगाया जहां पर तहसीलदार के आदेश उपरांत भी उक्त हल्का पटवारी के कानों में जूं तक नही रेगा तथा पटवारी के द्वारा तहसीलदार के आदेशों को भी अवहेलना कर गया। 

फलस्वरूप किसान का समस्या जस की तस बना हुआ है जिसके चलते कृषि कार्य चरम पर होने के कारण किसान को कृषि कार्य में नुकसान होना संभावित नजर आ रहा है। जिसकी क्षतिपूर्ति किया जाना संभव नही होगा।