गंदगी की गिरफ्त में ग्राम पुरूर, आत्मानंद स्कूल तक फैली बदबू — ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
बालोद | गुरूर।
ग्राम पंचायत मिर्रीटोला (पुरूर) आज बदइंतजामी, गंदगी और प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। गांव के भीतर अवैध कब्जा कर बसे लोगों द्वारा खुलेआम गंदगी फैलायी जा रही है, लेकिन न ग्राम पंचायत स्तर पर प्रभावी कार्रवाई हो रही है और न ही प्रशासन की ओर से कोई ठोस पहल दिखाई दे रही है।
स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि शिक्षा के पवित्र मंदिर आत्मानंद स्कूल तक बदबू और गंदगी पहुंच चुकी है। मासूम बच्चे दुर्गंध और अस्वच्छ वातावरण में पढ़ने को मजबूर हैं, जो सीधे-सीधे उनके स्वास्थ्य और भविष्य से खिलवाड़ है।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के अंदर
जगह-जगह कचरे के ढेर,
नालियों की सफाई ठप,
और अवैध कब्जों का बोलबाला
आम बात हो गई है। शिकायतों और आवेदनों के बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं।
सरपंच ग्राम पंचायत मिर्रीटोला का कहना है कि “अवैध रूप से बसे लोगों के कारण गंदगी फैल रही है। शासन को कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
हालांकि ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि यदि समस्या वर्षों से है, तो समाधान की ठोस कार्ययोजना अब तक क्यों नहीं बनी?
नेशनल हाईवे से जुड़ा गांव, पर हालात शर्मनाक
नेशनल हाईवे और तीन प्रमुख मार्गों के संगम पर स्थित यह गांव कभी क्षेत्र की पहचान हुआ करता था, लेकिन आज यहां “अंधेर नगरी चौपट राजा” की कहावत साकार होती नजर आ रही है। विकास और स्वच्छता के दावे सिर्फ कागज़ों में सिमट कर रह गए हैं।
ग्रामीणों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि
अवैध कब्जों पर तत्काल कार्रवाई,
गांव व स्कूल परिसर में विशेष स्वच्छता अभियान,
और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय
नहीं की गई, तो वे ब्लॉक कार्यालय और जिला मुख्यालय में आंदोलन करने को मजबूर होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
अब सवाल यह है कि
क्या किसी बड़ी बीमारी या अप्रिय घटना के बाद ही प्रशासन जागेगा, या समय रहते ग्राम पुरूर को गंदगी और बदहाली से मुक्त किया जाएगा?





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