HANDBILL : 27% आरक्षण को लेकर ओबीसी महासभा हुए फिर लामबंद

30 वर्षों से लंबित 27% आरक्षण नहीं मिलने के कारण ओबीसी समाज में आक्रोश

 संविधान लागू होने के 44 साल बाद ओबीसी को केंद्र के अनुसार प्रावधानित 27% आरक्षण आज तक नहीं मिला

ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ के आह्वान पर प्रदेशअध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम के नेतृत्व में प्रदेश भर के सभी जिलों में महामहिम राज्यपाल महोदय राजभवन छत्तीसगढ़ रायपुर एवं माननीय मुख्यमंत्री महोदय के नाम ज्ञापन कलेक्टर /एसडीएम /तहसीलदार के माध्यम से एक सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया, जिसमें प्रमुख मुद्दा पूर्व में पारित आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 में महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर किया जाना शामिल है।प्रदेशअध्यक्ष ने कहा कि देश की संघीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदाय को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। 

दंतेवाड़ा में ज्ञापन
सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को समानता के अवसर उपलब्ध कराते हुए समुचित विकास एवं उत्थान की व्यवस्था किया गया है, तदानुसार केन्द्र सरकार द्वारा अ.जा.को 15  प्रतिशत तथा अ.ज.जा.को 7.5 प्रतिशत एवं राज्य शासन द्वारा  अ.जा.को 12 प्रतिशत एवं अ. ज. जा. को 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान  किया गया है एवं केंद्र सरकार ने मंडल कमीशन के अनुशंसा के अनुसार संविधान लागू होने के 44 साल बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है,

जिला दुर्ग  में ज्ञापन
साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को राज्य शासन के द्वारा आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार  दिया गया है किंतु ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14% आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया, जो कि आज पर्यंत छत्तीसगढ़ राज्य में लागू है।

राजनांदगांव में ज्ञापन

बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी( आरक्षण) प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश की  ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में अपरिमित नुकसान हो रही है।उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 02 दिसम्बर 2022 को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया था, जिसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत,अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत ,अन्य पिछड़ा वर्ग को  27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर(EWS) को 4 प्रतिशत  आरक्षण का प्रावधान किया गया है,जिस पर महामहिम राज्यपाल का हस्ताक्षर आज पर्यंत नहीं हो पाया है।
रायपुर में ज्ञापन

ज्ञात हो कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 नवंबर 2022 को  10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण को यथावत लागू रखने का निर्णय दिया गया, जिससे बालाजी केस एवं इंदिरा साहनी केस में लगाई गई 50% कैपिंग को पार करने के बाद ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देने का रास्ता खोल दिया है।

गरियाबंद में ज्ञापन
महामहिम राज्यपाल से विनम्रतापूर्वक निवेदन किया गया है कि एक वर्ष पूर्व प्रस्तुत आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 में अविलंब हस्ताक्षर करने की महती कृपा करेंगे तथा पिछले एक साल से राजभवन में उक्त विधेयक पर की गई कार्यवाही से अवगत कराने की दया करेंगे।

कोरबा में ज्ञापन
माननीय मुख्यमंत्री से करबद्ध निवेदन  किया गया है कि संशोधित आरक्षण विधेयक 2022 में महामहिम राज्यपाल को हस्ताक्षर करने के लिए आवश्यक पत्राचार करने की असीम कृपा करेंगे। रायपुर राजधानी सहित बालोद जिला , जिला कबीरधाम, जिला सारंगढ बिलाईगढ, न्यायधानी बिलासपुर, तहसीलदार जैजैपुर जिला शक्ति, पिथौरा महासमुंद, सरगुजा, बस्तर, दुर्ग, दंतेवाड़ा, भाटापारा, बलौदाबाजार, कोण्डागांव, सूरजपुर, एमसीबी, राजनांदगांव, कोरबा, रायगढ़, खैरागढ़, गरियाबंद सहित पुरे छत्तीसगढ़ में ओबीसी महासभा के समस्त पदाधिकारियों के द्वारा ज्ञापन सौपा गया।

राजधानी रायपुर में ज्ञापन सौपने के लिए प्रमुख रूप से प्रदेश महासचिव किरण देवांगन, प्रदेश अध्यक्ष युवामोर्चा ओबीसी चंद्रजीत (चंदु देवांगन), हेमन्त कुमार साहू संभाग अध्यक्ष रायपुर, किशोर कुमार सोनी महासचिव रायपुर महानगर, मुकेश यादव जिला उपाध्यक्ष रायपुर, पंचराम सोनी, आकाश यादव सक्रिय कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में ओबीसी महासभा के पदाधिकारी शामिल हुए।