छत्तीसगढ आरक्सण विवाद प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम राहत दिए जाने की खबर पर बी.के. मनीष ने लीगल न्यूज वेबसाईट लाईवलॉ के संपादक मो. राशिद से गलतबयानी की शिकायत की है| लाईवलॉ ने मंगलवार को खबर प्रकाशित की है कि छग शासन की एसएलपी पर नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिलासपुर हाई कोर्ट के 19 सितंबर फ़ैसले के ऑपरेशन पर तात्कालिक रोक लगा दी है| बी.के. मनीष ने साफ़ किया कि शासन की एसएलपी पर और अंतरिम राहत पर नोटिस 18 नवंबर 2022 को जारी हुआ था और 16 जनवरी 2023 को अंतरिम राहत देने से मना कर दिया गया था| 21 अप्रैल की सुनवाई में आखिरी बहस के लिए 18 जुलाई की तारीख तय करने के सिर्फ़ पांच दिन बाद रहस्यात्मक कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने 1 मई को अर्जेंट हियरिंग का निवेदन स्वीकार किया| उस दिन कुछ अंतरिम राहत प्रदान की जिसकी ऑर्डर शीट 2 मई की शाम लगभग 7 बजे उपलब्ध कराई गई है|
सोमवार 24 अप्रैल से ही अर्जेंट हियरिंग और उसके नतीजे की अफ़वाहों का बाजार गर्म था| 1 मई की दोपहर समाचार माध्यमों ने उल-जलूल रिपोर्टिंग शुरु कर दी जिसमें आरक्षण से रोक हटने और प्रमोशन की राह खुलने का दावा किया गया था| ध्यान रहे कि आरक्षण प्रदान करने पर छत्तीसगढ में कोई रोक किसी भी कोर्ट ने नहीं लगाई थी| शासन चाहे तो आरक्षण के बगैर भर्ती कर सकता था और चाहे तो संवैधानिक सीमाओं के अधीन आरक्षण के नए प्रावधान बना सकता था| आरक्षण संशोधन विधेयकों पर मुख्यमंत्री न तो राज भवन से मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं और न ही राज्यपाल की कथित बाधा के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं| प्रमोशन का मामला सुप्रीम कोर्ट में नहीं बल्कि हाई कोर्ट में आखिरी सुनवाई के लिए लंबित है (पीआईएल 91/2019)| सुप्रीम कोर्ट में दो एसएलपी 2020-21 में जनजातीय पक्षकारों ने दायर की थी जबकि रिवर्शन का खतरा था; अब तक सभी रिस्पांडेंट्स को नोटिस सर्व नहीं होने की वजह से दो साल में इसकी अगली सुनवाइ तक नहीं हो पाई है| वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया था था कि हाई कोर्ट का 19 सितंबर फ़ैसला आने से पहले ही कुछ विज्ञापन जारी किए गए थे और प्रक्रिया चल रही थी| यदि इन नियुक्ति प्रक्रियाओं और पदोन्नति की अनुमति नहीं दी जाती तो राज्य शासन को कार्मिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा| इस पर न्यामूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने नियुक्ति प्रक्रियाओं और पदोन्नति की सशर्त अनुमति दे दी| यह अंतरिम राहत नई नियुक्तियों- भर्तियों पर भी लागू होगी या नहीं और किस तारीख से लागू होगी यह विवादास्पद पहलू हैं| जाहिर है कि स्पष्टता के लिए वापस सुप्रीम कोर्ट (संभवत: वेकेशन बेंच) जाना पड़ेगा, जहां इस अंतरिम राहत में सुधार होने की पूरी संभावना है|
सोमवार 1 मई की रात बी.के. मनीष ने एक ऑडियो मैसेज से हालात पर सफ़ाई पेश की थी| नीचे देखिए बी.के. मनीष की लाईवलॉ के संपादक से की गई शिकायत का मूल अंग्रेजी संदेश:
Is it too much to expect a reporter or copy editor to check case history on SCI website before publishing a sensitive news report? Momentousness of this bunch of SLPs has been missed out by entire national media, judicial support for political persecution of scheduled tribes of Chhattisgarh, but basic facts could have been easily crosschecked online at a legal news website. The 2nd May report by Awstika Das regarding SCI staying operation of Chhattisgarh HC judgment in Yogesh Thakur matter does great injustice to tribal people simply by helping misreport. Kindly look into following facts. 1. SCI mysteriously decided to hear the matter urgently on Monday 1st May upon mentioning, just over a week after it had set the date for final hearing. 2. SCI had already issued notices on SLP and on interim relief in SLP (C) 19668/22 on 18.11.22 and had declined to grant any interim relief on 16.01.23 after detailed discussion. 3. The 2011 Amendment Act only dealt with reservation in services under the State, reservation in educational institutions were provided through a fresh Act of 2012, Section 3 of which, indicating quantum of reservation on the lines of Amendment act, was also struck down by HC in the same judgment dated 19.09.22. 4. First few SLPs were filed by individual tribal petitioners, issuance of notices in which forced the State to file its own SLP. 5. State Legislative Assembly has passed on 02.12.22 two Reservation Amendment Bills which were not assented to by Governor because CM refused to furnish copy of Report of the Commission which was apparently the basis of formulating new Bills. 6. State Govt. has challenged alleged blocking of Bills by Governor before the HC (WPC 595/23) but refuses to come to SCI despite a public statement regarding such intent by counsel of the State, Sr. Adv. Kapil Sibal.