Cattle Trade : दहशत के छांव में मवेशियों का व्यापार !

बालोद : छत्तीसगढ़ सरकार की बहुउद्देशीय महत्वकांक्षी योजना जिसे छत्तीसगढ़ सरकार "नरवा गरवा घुरवा बाड़ी" योजना  का नाम देते हुए प्रदेश के धरातल में लागू किया है। जब से  कांग्रेस पार्टी की सरकार, छत्तीसगढ़ राज्य में इस योजना को लेकर आई है, तब से इस योजना पर चर्चा का बाजार गर्म है। बाजार गर्म होने के कई कारण है, क्योंकि इस योजना के अंतर्गत सम्पूर्ण मानव जाति एवं पर्यावरण संरक्षण को लाभ पहुचने का अनुमान है। भारत कृषि प्रधान देश है, देश की ज्यादातर किसानी से संबंधित कार्य पशुओं के दम पर सैकड़ों सालों से हो आ रही है।

आधुनिकता के दौर में कृषि कार्यों को मशीनों से करने की कोशिश व प्रयास तो किया जा रहा है, लेकिन छोटे और मध्यम वर्गीय किसान परिवारों के लिए किसानी से संबंधित सभी कार्य मशीन से करना हवा में उड़ने जैसी वाली बात साबित हो रही है। याने कि आज भी देश के ज्यादातर किसान कृषि कार्य में उपयोगी जानवरों के माध्यम से कृषि से जुड़े हुए कार्य कर रहे है। 

छत्तीसगढ़ राज्य अंतर्गत ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोगों के लिए पशुपालन जिसमें मुख्य रूप से गाय, भैंस, बैल शामिल है। यह लोगों की दैनिक दिनचर्या में शामिल है। आज भी प्रदेश के ज्यादातर गांवों के प्रत्येक घरों में मवेशी पालन को शुभ कार्य एवं लक्ष्मी सेवा कार्य मानकर गाय, बैल पुजा की जाती है। हालांकि आधुनिकता की इस दौर में पशुपालन से लोगों का मोहभंग होते हुए नजर आ रहा है, जो कि चिंता का विषय है। छत्तीसगढ़ सरकार ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को मजबूती प्रदान करने हेतू एवं कृषि सेक्टर को सशक्त बनाने हेतू इस योजना को लागू किया है जिसके अंतर्गत अनेक बहूउद्देशिय और दूरगामी परिणाम समाज के समक्ष आगे आने वाले दिनों में नजर आ सकती है। 

नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना अंतर्गत मुख्य आधारभूत ढांचा है पशु पालन, जिसके ऊपर इस योजना से संबंधित सफलता की 75% जिम्मेदारी है, लेकिन राज्य में लगातार पशुपालन और पशुओं में कमी इस योजना की सफलता पर लगातार सवालिया निशान लगा रहे है, क्योंकि जैसा की हमने हमारे सुधि पाठकों को बताया है कि, इस योजना के मुख्य आधारभूत ढांचा पशुपालन है और इस योजना में भी इन शब्दों को समाहित किया गया है। ऐसे में पशुपालन ही इस योजना की सफलता पशुपालन संबंधित गारंटी है जिसे नाकारा नहीं जा सकता। 

लगातार मवेशी तस्करी इस योजना के लिए घातक साबित हो रही है, तो वहीं इस योजना को राज्य भर में प्रसारित करने वाले मवेशी व्यापारियों को होने वाली  परेशानियों के चलते इस योजना को नुकसान का सामना करना पड़ है। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना अंतर्गत गौ न्याय धन योजना से ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में पशुपालन के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास  है। राज्य में पशुओं की जनसंख्या में लगातार बढ़ोतरी एवं पशुपालन को बढ़ावा देने हेतू पशूओ का व्यापार जरूरी है। 

*अमित मंडावी, पत्रकार। 


बालोद जिला अंतर्गत करहीभदर मवेशी बाजार को बंद करने हेतू हिन्दू संगठनों ने जिला कलेक्टर दिया है। लिखित ज्ञापन में उक्त संगठनों ने पशु तस्करी के कारणों से मवेशी बाजार को बंद करने का निवेदन किया है। बालोद जिला सहित आसपास के अन्य जिला के लिए एकलौता मवेशी बाजार है करहीभदर, जहाँ पर बस्तर के सुकमा, नारायणपुर जिला सहित प्रदेश के कई जिला के मवेशी व्यपारी आकर पशुधन की खरीदी और बिक्री करते हैं। यदि इस बाजार को बंद करने से पशु तस्करी में रोक लगेगी यह बहुत छोटी सोंच है। करहीभदर मवेशी बाजार से हर सप्ताह सैकड़ों मवेशी एक पालक के घर से निकल दुसरे पालक के यंहा जाता है, ऐसे में इस तरह किए गए कार्य को गौ सेवा अनुरूप नहीं माना जा सकता। अतः  गौ तस्करी पर रोक लगाने की मांग करने वाले संगठनों को गौ तस्करी से संबंधित विषयों को बारीकी से समझने की जरूरत है ताकि सही मायने में गौ धन की सेवा हो सके।