जब COVID-19 का खतरा अभी टला नहीं है तो स्कूल खोलने की अनुमति क्यों दी गई है? : प्रकाशपुन्ज पाण्डेय

क्या कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच स्कूलों को खोलने की अनुमति देना उचित है? 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के निवासी, समाज सेवी, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जब अभी तक कोरोना वायरस का खतरा टला नहीं है तो उस सूरत में स्कूलों को खोलने का निर्णय क्यों लिया गया है? 

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा है कि आए दिन मीडिया के माध्यम से खबर आ रही हैं कि कोरोना पॉजिटिव केसेज की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। कई स्कूलों में बच्चे और शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। इस सूरत में स्कूल खोलने का फैसला जनहित में तो कतई नहीं दिखाई देता है। और कुछ स्कूलों में हफ्ते में 2 दिन ऑफलाइन क्लासेस चलेंगी व 3 दिन ऑनलाइन क्लासेस चलेंगी। मतलब हफ्ते में दो दिन स्कूल जाने के लिए अभिभावक अपने बच्चों की जान खतरे में डालने को मजबूर हैं। 

प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी अब तक COVID-19 के खत्म होने की घोषणा नहीं की है। हर जगह अब भी COVID-19 के प्रोटोकोल का सख्ती से पालन करने के लिए कहा जा रहा है। WHO ने हाल ही में चेताया था कि COVID-19 का खतरा अभी टला नहीं है और उससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। 


प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने सरकार से अनुरोध किया है कि COVID-19 के प्रकोप को देखते हुए कम से कम मई 2022 तक स्कूलों को बंद रखा जाए। क्योंकि अगर 2 साल से जो बच्चे स्कूल नहीं गए हैं वे अगर वे कोरोना वायरस के खतरे के बीच अब स्कूल जाते हैं और अगर उन्हें कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा, यह भी सरकार को सुनिश्चित करना होगा।