जंगलों से निकल; बाजार में आया छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी सब्जी बोड़ा। - PRACHAND CHHATTISGARH

Home Top Ad

 



 

Post Top Ad

Monday, June 14, 2021

जंगलों से निकल; बाजार में आया छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी सब्जी बोड़ा।

गरियाबंद जिले के जंगलों में दिखने लगा छत्तीसगढ़ की सबसे महंगी सब्जी सरई बोड़ा। 

तीन सौ रुपये से पांच सौ रूपये किलो में खरीद रहे लोग

गरियाबंद। बारिश के मौसम में यहां एक बेहद महंगी सब्जी मिलती है, जिसे बोड़ा के नाम से जाना जाता है। "बोड़ा" यह एक मशरूम का ही प्रजाति है, मानसून का मौसम और पहली बारिश से जंगलों में ये सब्जी साल के पेड़ के नीचे पाई जाती है। यह सिर्फ बारिश के मौसम में ही मिलती है, स्वाद और पौष्टिकता से भरपूर ये सब्जी फिलहाल बाजार में तीन से चार सौ रुपया किलो में बिक रही है।

जिला के बाजारों में इन दिनों सबसे महंगी सब्जी के रूप में बोड़ा की आवक बढ़ गई है। बाजार में इसे खरीदने वालों की भीड़ लग रही। बोड़ा साल वृक्ष के नीचे उपजने वाला एक फुटु (मशरूम) है, इसमें दूसरे मशरूमों की तरह कई पोषक तत्व पाए जाते हैं; इसलिए लोग इसे शौक से खाते हैं। ग्रामीण प्रति वर्ष बारिश के पूर्व साल के वनों से बोड़ा संग्रहित करते हैं और उसे हाट - बाजारों में बेचने लाते हैं। यह मशरूम सिर्फ साल वृक्ष के नीचे ही बारिश के दिनों में उपजता है , यह सब्जी देश के सबसे महंगी सब्जी में जाना जाता है। शहरी क्षेत्र के लोग इसे खाने लिए लिए बेहद तरसते है और जब शहर के किसी बाजार में बोड़ा (मशरूम) बिकने लगता है, वहाँ हजारो की संख्या में भीड़ नज़र आती है। इसे खाने के लिए लोग साल भर इंतजार करते है, यह है ही इतना स्वादिस्ट जो की लोगों अपने स्वाद से मनमोहित कर देती है।

यह बोड़ा प्राकृति से निकली एक स्वादिस्ट सब्जी है


बोड़ा धरती से निकलने वाला जंगली खाद्य है, यह केवल साल वृक्ष के नीचे से ही निकलता है , जब बादलों की गर्जना होती है, उमस का वातावरण हो जाता है, उस समय बोड़ा स्वत मुलायम जमीन के अंदर आकार लेता है,  ग्रामीण जमीन खोदकर बोड़ा निकालते हैं , बोड़ा आकार में आलू से लगभग आधा या उससे भी छोटा होता है  रंग इसका भूरा होता है, ऊपर पतली सी परत एवं अंदर सफेद गुदा भरा होता है, बोड़ा को बिना सब्जी बनाये भी खा लेते है, बिना सब्जी बनाये इसका स्वाद मीठा जैसा लगता है। बोड़ा में आवश्यक खनिज लवण एवं कार्बोहाईड्रेट भरपूर मात्रा में होता है , इसकी सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है , बाजार में आते ही लोग इसे खरीदने के लिए टूट पड़ते है, इसकी आवक सिर्फ शुरूआती बरसात तक लगभग एक माह तक ही होती है, इसलिए इसकी कीमत भी ज्यादा होती है।

जिले के वनांचल क्षेत्र में आदिवासियों की मान्यता अनुसार

जिले के वनांचल क्षेत्र के आदिवासियों में ऐसा मान्यता है कि बारिश जितनी ज्यादा होगी , बोड़ा उतना ही अधिक निकलेगा, वे यह भी मानते हैं कि बादल जितना कडकेगा, बोड़ा उतना ही निकलेगा, साल वृक्षों के जंगल में जहां बोड़ा निकलना होता है , वहां जमीन में दरार पड जाती है, नुकीले औजार से खोद कर उसे निकाल लिया जाता है, यह मशरूम की ही एक प्रजाति है  यह सिर्फ रंग-रूप में ही नहीं गुणों में भी मशरूम के समान है, इसमें कई पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं।

गिरीश गुप्ता







No comments:

Post a Comment

Total Pageviews

Post Top Ad