हरिजन शब्द का प्रयोग, थाने में की गई शिकायत।

गरियाबंद। देवभोग के एक दैनिक समाचार पत्र "दैनिक भास्कर" के तथाकथित सवांददाता द्वारा 27 अप्रैल को प्रकाशित समाचार में अनुसूचित जाति के लिए प्रतिबंधित शब्द " हरिजन" का प्रयोग किया गया है, जिससे स्थानीय अनुसूचित जाति के लोगों में नाराजगी व्याप्त हो गई है। उक्त व्यक्ति पूर्व से ही विवादित रहा है थाने में कई प्रकरण पंजीबद्ध है। अब तक उचित कार्यवाही नहीं होने से लोगों में बेहद नाराजगी है। 


सुप्रीम कोर्ट ने हरिजन लिखने बोलने को आपराधिक माना है। 


सुप्रीम कोर्ट ने भी हरिजन शब्द को आपराधिक माना है। केंद्र व केरल राज्य की सरकार भी अलग-अलग अध्यादेश द्वारा प्रतिबंध लगा चुकी है। हरिजन शब्द के प्रयोग पर संशोधित अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम व भारतीय  दंड संहिता की धाराओं में केस दर्ज हो सकता है, व जाना पड़ सकता है जेल। हरिजन शब्द का प्रयोग करने वाले लोगों व सरकारी काम काज में इसका इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हो सकता है। भारत की राष्ट्रपति ने भारत सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के पत्र दिनांक 22-11-12 व क्रमांक 17020/64/2010 / SCD (RL CELL) के मार्फत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सर्कुलर जारी कर हरिजन शब्द के सरकारी काम काज में इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं। "हरिजन" शब्द पर सरकार ने पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया है। मध्य प्रदेश सरकार के आदेश क्रमांक 2140 / 29-6-89 के अनुसार "हरिजन" शब्द किसी को बोलना या कहना और लिखना क़ानूनी अपराध है। अविभाजित मध्य प्रदेश सरकार ने 29 अप्रेल 1991 को सख्ती से पालन करने का निर्देश जारी किया था। 

वेणु व्यंकटेश्वर पिता देवानंद डोंगरे जाति गांडा व भविष्य प्रधान पिता रूपराम प्रधान जाति गांडा निवासी देवभोग द्वारा, थाना देवभोग में तहरीर देते हुए
वेणु व्यंकटेश्वर पिता देवानंद डोंगरे जाति गांडा व भविष्य प्रधान पिता रूपराम प्रधान जाति गांडा निवासी देवभोग द्वारा, थाना देवभोग में तहरीर देते हुए

ताजा मामले में देवभोग के वेणु व्यंकटेश्वर पिता देवानंद डोंगरे जाति गांडा व भविष्य प्रधान पिता रूपराम प्रधान जाति गांडा निवासी देवभोग द्वारा, थाना देवभोग में तहरीर देते हुए लेख किया है कि आंचलिक समाचार में प्रकाशित समाचार में 'पुरुषोत्तम पात्र' द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण से संबंधित समाचार प्रकाशित किया गया है जिसमे अनुसूचित जाति शब्द के स्थान पर शासन द्वारा प्रतिबंधित शब्द "हरिजन" का प्रयोग किया है। जिससे गांडा जाति का अपमान घटित हुआ है। उक्त व्यक्ति के द्वारा पूर्व में भी अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के साथ अभद्र अपमानजनक व्यवहार किया जा चुका है। गांडा जाति के विरुद्ध अपमानजनक शब्द प्रयोग करने पर पुरुषोत्तम पात्र के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जाये।


वहीं उक्त मामले से प्रदेश सतनामी समाज के युवा प्रकोष्ट ब्लॉक अध्यक्ष एवं परिक्षेत्र गरियाबंद सचिव श्री अजय बंजारे एवं अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष श्री जितेंद्र सोनवानी व युवा प्रकोष्ठ ब्लॉक उपाध्यक्ष प्रीतम बंजारे एवं अटगउहा परिक्षेत्र गरियाबंद के समस्त पदाधिकारियों के निर्देशानुसार आज एसपी व थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपा गया।


बता दें कि जिस तथाकथित पत्रकार ने उक्त समाचार का जिस अख़बार में प्रकाशन किया है। उसी अख़बार ने तीन साल पहले सम्बंधित विषय पर एक लेख "अब हरिजन शब्द का उपयोग करना पड़ेगा भारी, संगठन कराएगा कानूनी कार्रवाई" शीर्षक से अपने समाचार पत्र में प्रकाशित किया था, जिसका अवलोकन आप नीचे दिए गए link में जाकर कर सकते है। 

बावजूद इसके आदतन अपराधी प्रवृत्ति का यह व्यक्ति पत्रकारिता की खाल ओढ़े तमाम किस्म की दलाली और अपराध को अंजाम दिया जा रहा है ! और शासन-प्रशासन आंख मूंदकर उसके इस कृत्य में सहयोग दे रहे हैं....!, खबर समाप्ति के पहले आपको अवगत करा दूँ कि; इस तथाकथित पत्रकार पर पूर्व में शराब तस्करी के साथ-साथ इसके घर के सरहदी में जंगली जानवरों की खाल व बारहसिंगा की सींग बरामदगी होने की भी पक्की खबर है, साथ ही यह एट्रोसिटी एक्ट का भी आरोपी है। 


*
आरक्षित समाज के मान सम्मान और स्वाभिमान को जानबूझकर गहरी ठेस पहुंचाने पर दैनिक भास्कर के न्यूज़ रिपोर्टर और इस पत्रिका के ऊपर कानून के दायरे में कानूनी कार्रवाई किया जाएगा यदि यह न्यूज़ पेपर माफीनामा नहीं लिखती है सार्वजनिक रूप से तो फिर कोरोना महामारी लॉकडाउन के बाद प्रदेश स्तरीय दैनिक भास्कर कार्यालय का घेराव किया जाएगा...

*अनिल टंडन,भीम रेजिमेंट प्रदेश सचिव


अश्वन बारले, संरक्षक जिला सतनामी समाज
, बालोद ने उक्ताशय को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी है। उन्होंने कहा कि - "चूँकि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हरिजन शब्द को पूर्ण रूप से विलोपित किया जा चूका है। वहीं एक ओछी मानसिकता का एक स्थानीय स्तर का पत्रकार जिसे बुद्धिजीवी और समज में चौथे स्तंभ का दर्जा हासिल होता है, उसके द्वारा किसी भी समाज के किसी भी व्यक्ति के अपमान का कोई अधिकार नहीं। सतनामी समाज उसके कृत्य से आहत है और प्रशासन से उक्त व्यक्ति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग करता है। 


समाज सेविका श्रीमती कविता प्रवीण गेंडरे
, गुंडरदेही का कहना है कि - प्रिंट मिडिया दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर "हरा सोना" तोड़ने रात में ही सपरिवार जुटे लोग क्योंकि सुबह उसी से रोटी बनानी थी" के उप-हेडिंग 'सुबह का इंतजार...रात की ये तस्वीर' वाले कालम में उल्लेखित "ये तस्वीर है देवभोग से 8 किमी दूर बसे तुवासमाल गांव की, जहां हरिजन मोहल्ले में सोलर लाइट के नीचे 4 परिवारों के छोटे-बड़े 13 सदस्य बैठकर तेंदूपता, जिसे हरा सोना भी कहते हैं, के पत्तों को सहेजकर गड्डी तैयार कर रहे हैं। ताराबाई मोंगराज, पुष्पांजली, देयमति, जमुना व धनमति का परिवार तल्लीन होकर गड्डी बना रहा था।" में आपत्तिजनक शब्द "हरिजन" लिखकर एक गरीब परिवार का मज़ाक उड़ाया गया है। 
उक्त समाचार से सम्बंधित पत्रकार निश्चित ही किसी मानसिक दिवालिएपन से ग्रसित होकर ऐसा कृत्य किया है जिसके खिलाफ प्रशासन से अनुरोध है कि तत्काल मामले में संज्ञान लिया जाकर कड़ी से कड़ी क़ानूनी कार्यवाही करें।

 पत्रकार : किरीट ठक्कर।