बालोद। जिला मे कोरोना महामारी के बाद एक और समस्या ने दस्तक दे दी है। विदित हो कि भारतीय जनता पार्टी; बालोद ने कुछ दिनों पहले ही जिला में पानी की समस्या को लेकर जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर मामले में सरकार को गंभीरता से विचार करने के लिए बाध्य करने का प्रयास किया था, जिसके बाद भी जिला प्रशासन ने जिला में पेयजल आपूर्ति हेतू प्रभावित जगहों पर पेय जल व्यवस्था बहाल करने में सफलता हासिल नही की है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत बासीन में वर्तमान स्थिति में देखने को मिल रहा है।
हालांकि जिला प्रशासन और पीईची विभाग, बालोद जिला में पेयजल आपूर्ति एवं निस्तारी हेतू जल की व्यवस्था लगातार करा रही है जिसके बाद भी जिला में पेयजल की समस्या जस के तस बनी हुई है। जिला के किसान फसल चक्र की उपयोगिता को भूलकर रबी की फसल में कर रहे है धान की खेती तो वहीं लगातार वृक्षों की कटाई से बिगड़ रही जलवायु संतुलन, जलस्तर लगातार गिर रही है, जिसके चलते जिला के ज्यादातर मोटर पंप बंद हो चुकी हैं।
जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत बासीन जो प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के दुघेरा गांव भी है वहां के किसानों ने इस वर्ष रबी के फसल के दौरान दलहन और तिलहन की खेती कर रखी है; लेकिन आसपास के अन्य और गांव के किसानों ने धान की फसल लगा रखी है। जिसके चलते ग्राम पंचायत बासीन के 17 वार्ड के 9 मोटर पंप में से 7 पुरी तरह बंद हो चुकी है जिसके चलते ग्राम वासियों को भंयकर पानी की समस्या से जुझना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत बासीन की महिला सरपंच प्रमिला हिरवानी के साथ ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा पेयजल आपूर्ति एवं निस्तारी हेतू जल व्यवस्था हेतू लगातार प्रयास किया जा राहा है ग्रामवासियों और पंचायत के सदस्यों ने शासन और प्रशासन से जल्द समस्या का समाधान करने की मांग की है।
अमित मंडावी जिला प्रतिनिधि
सरकार ने प्रदेश और जिला के प्रत्येक पंचायतों में भूमिगत जलस्तर को बेहतर बनाएं रखने सहित आम जनता की जागरूकता हेतू अभियान में कर चुकी है अरबों रुपए खर्च जिला के गुरूर विकासखंड क्षेत्र में भूमीगत जलस्तर में भारी गिरावट ज्यादातर हेंडपंप सूख चुके है। शासन और प्रशासन की लगातार चेतावनी के बाद भी विकासखंड क्षेत्र के किसान गर्मी में धान की फसल लगाते है जबकि किसानों को भूमी की उर्वरकता और भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने के सफल चक्र अपनाते हुए कृषि करना अति आवश्यक हो चला है। गर्मी अभी पूरी तरह से शबाब में आना अभी बाकी है दिलचस्प बात यह है बसंत ऋतु में ही नलों से पानी सुखने लगी है धान की फसल में सिंचाई हेतू गंगरेल तांदुला जलाशय से किसानों को पानी दिया जा रहा है।
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