POLITICS : संविधान में नहीं है उप मुख्यमंत्री पद का उल्लेख।

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उप मुख्यमंत्री पद के प्रावधान क्यों किया गया है ? संविधान में उप मुख्यमंत्री का कहीं कोई उल्लेख नहीं मिल रहे है और संविधान में उप मुख्यमंत्री पद का कार्य, उत्तरदायित्व का और दिया अधिकार का उल्लेख लिखित कथन नहीं मिला है।

क्या आगामी लोकसभा चुनाव के लिये मतदाताओं को फिर झुनझुना दिये जा रहे है ? अगर कोई जातिगत वोट बैंक साधने हेतु लक्ष्य रखा गया है तो उनको उप मुख्यमंत्री बना दिया जा रहा है। बहुत सारे लोग के राजनीति के क्षेत्र में आने से उनके राजनीतिक महत्वकांक्षा के वजह से किसी को बाहर रखना संभव नही हो पा रहे होंगे तो उप मुख्यमंत्री बनाया जा रहे है।

वास्तविक रूप में भाजपा में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के अधिनायकवादी अवधारणा के कल्पना होने से लगातार लंबे समय से बहुत सारे वरिष्ठ नेताओं और मुख्यमंत्रियों पर जितना भरोसा कम करेगे और  जितने कम सक्षम, उतने पिछलग्गू नेता को रखेगे, तो इससे कोई भी राज्य स्तर के बड़े नेताओं के और बड़े होने से रोकने के छुपा हुआ प्रयास ही है, बाकी कहने को यह संगठन को जोड़े रखने भी जुगाड़ बताया गया है; लेकिन यह पूरी तरह से प्रधानमंत्री पद के लिये बहुत सारे उम्मीदवारों को रोकने के प्रयास ही है क्योंकि भाजपा में बहुत सारे वरिष्ठ नेताओं की ज़मीनी स्तर पर पकड़ भी उनको प्रधानमंत्री पद के लिये उपयुक्त बताने लगे हैं। 

भारत मे सबसे पहले उप मुख्यमंत्री के पद बिहार में आज़ादी से पहले शुरू हुआ था। बिहार के डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा को पहले उप मुख्यमंत्री माने जाते हैं जो 1957 तक बने रहे थे। फिर उसके बाद 1951 में राजस्थान में दूसरे उप मुख्यमंत्री टीका राम पलिवार बने, कुल मिलाकर भारत के सभी राज्यों में उप मुख्यमंत्री पद के बहुत प्रयोग हो चुके हैं।

उप मुख्य मंत्री के जिम्मेे कोई विशेष काम नहीं होता है. एक तरह से यह राजनीतिक पद और प्रतिकात्मक पद है। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जाती है कि उप मुख्यमंत्री का पद पाने वाले नेता की सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत है. राज्य सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री के हाथ में होता है. अमूमन यह देखा गया है कि जातिगत या क्षेत्र का समीकरण साधने के लिए उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है।

अंत मेरे राजनीतिक ज्ञान इतना ही है। क्योंकि भोपाल के हमीदिया महाविद्यालय में  BA 1993 से 1995 तक छात्र रहने से राजनीति शास्त्र में 150 में से हर बार 140 अंक मिलते रहे हैं।                                                   *kunwar mp singh