RAIPUR : आबकारी विभाग में जीजा साला का बोलबाला

रायपुरशराब हमेशा विवाद की जननी रहा है और इस विवाद का विशाल बरगद रूपी वृक्ष आबकारी विभाग। यदि मामला छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश का हो जहां की 90% जनता मदिराप्रेमी हो तो फिर बात ही निराली। जब से विभाग में जिला मुख्य आबकारी अधिकारी इक़बाल खान सहित तमाम आबकारी निरीक्षकों की राजधानी से विदाई हुई है, ओव्हर रेटिंग का मामला कोमा में चला गया है; और इस अवैध धंधे से जुड़े गैंग में त्राहिमाम की गूंज उठने लगी है। कुछ झोला छाप पत्रकारों का घर तो इसी शराब दुकान की बदौलत चलती थी।

हल्के में चर्चा है कि रायपुर में पदस्थ आबकारी विभाग में महासमुंद से एक नया अधिकारी आया है, अरे एक नहीं बल्कि दो अधिकारी शायद "जीजा साला" की जुगल जोड़ी आई है, और इनके आते ही तथाकथित जीजा यानि की जिला मुख्य आबकारी अधिकारी विजय सेन शर्मा घर में आराम फरमाते हैं और अपने पिट्ठू तथाकथित इस 'साला' हेमंत शर्मा को अपना कार्यभार सौंप दिया है। आखिर हो भी क्यों ना भई, कहा भी तो गया है "सारी खुदाई एक तरफ, जोरू का भाई एक तरफ "कोई भी भाई अपनी बहन और जीजा के बीच में सामान्यतः नहीं आता। अगर वह जीजा के तरफ है तो दूसरी ओर सारी खुदाई ही तो होगी। इसमें आश्चर्य की क्या बात है। खैर... 

हेमंत शर्मा

तो बात यह है साहब कि; महासमुंद से अवतरित इस जुगल जोड़ी के बीच क्या सम्बन्ध है इसे तो वही जाने मगर यह कहा जाता है कि जहाँ - जहाँ विजय सेन शर्मा जाते है पीछे - पीछे ये हेमंत शर्मा भी जाते हैं जिसका कि इस विभाग से दूर _ दूर तक कोई नाता ही नहीं, फिर भी यह 'साला' हेमंत शर्मा, खुद को जिला मुख्य आबकारी अधिकारी या यूँ कहें कि उससे भी ऊँचा ओहदेदार समझ जिला के तमाम शराब दुकानों में औचक निरीक्षण करने पहुंच जाता है। इस के कारनामों को लेकर हाइवे क्राइम टाइम के सम्पादक सम्माननीय दिनेश सोनी जी लिखते है कि "यह शख्स रायपुर जिला के तमाम शराब दुकानों में अचानक पहुंचकर कभी स्टॉक चेक करता है तो कभी ऑडिट करने लगता है ! 

यह व्यक्ति माननीय जिला आबकारी अधिकारी विजय सेन शर्मा का नाम बताकर शराब दुकानों में अपनी मनमानी करने लगा है। हेमन्त नाम का यह व्यक्ति आबकारी अधिनियम की बेखौफ धज्जी उड़ा रहा है। सुनने में यह आया है कि इसी व्यक्ति ने हस्तक्षेप कर रायपुर जिला के शराब दुकानों में मदिराप्रेमियों की पसंदीदा ब्रांड ‘गोवा’ मार्केट से गायब करवा दिया है ! और ओव्हर रेटिंग में लगाम कसकर एक नए धंधे का ईजाद किया है। 

बता दें कि रायपुर के कुछ शराब दुकानों में अभी भी ओवर रेटिंग गैंग सक्रिय हैं जो समय - समय पर अधिकारीयों के साथ - साथ सभी का जेब गर्म कर लेते हैं। मगर अब बताया जा रहा है इस साले ने शहर की कुछ चुनिंदा शराब दुकानों में आबकारी अधिनियम के "कालखंड आठ में अंकित कार्य का दायरा और विशिष्टता" 


के अनुसार स्थानीय बेरोजगारों को अनदेखा कर बाहरी लोगों का एक ऐसा गिरोह तैयार कर दिया है जो मदिराप्रेमियों से रूपए तो ले लेता है मगर शराब नहीं देता। ऐसा ही एक मामला रायपुर के पंडरी और भाटागांव स्थित देशी शराब दुकान में कार्यरत सैल्समैन व कर्मचारियों द्वारा एक नहीं दो नहीं बल्कि दर्जन भर से ज्यादा लोगों से पैसे ले लिए जाने और बाद में उन्हें शराब नही देने की बात सामने आई है। फ़िलहाल इस मामले में कोई भी अधिकारी सामने आने से कतरा रहे हैं, क्योंकि मामला जीजा - साले से जुड़ा है।