रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कोरबा जिले के कुसमुंडा क्षेत्र के खनन प्रभावित गांव जटराज के भूविस्थापित दिलहरन पटेल की आत्महत्या के लिए एसईसीएल और राज्य सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है और मृतक के परिवार को 50 लाख रूपए की सहायता और एक सदस्य को स्थाई रोजगार प्रदान करने की मांग की है।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि वर्ष 2009 में ग्राम जटराज के 160 परिवारों की आवास और कृषि भूमि का अधिग्रहण एसईसीएल ने किया था। तब से मुआवजा और रोजगार के लिए भूविस्थापित परिवार भटक रहे हैं। दिलहरण इन्हीं पीड़ितों में से एक था, जिसे मकान खाली न करने पर तोड़ने की चेतावनी एसईसीएल ने दी थी। एसईसीएल की इस धमकी का विरोध करने पर उसे एसईसीएल प्रबंधन ने अपने प्रभाव का उपयोग करके एक निजी कंपनी की अस्थायी नौकरी से भी निकलवा दिया था। इस तथ्य से स्पष्ट है कि दिलहरण की आत्महत्या के लिए एसईसीएल प्रबंधन सीधे जिम्मेदार है और इसलिए सीएमडी व कुसमुंडा महाप्रबंधक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
किसान सभा नेताओं ने कहा है कि पुनर्वास के नाम पर एसईसीएल भूविस्थापितों पर जो नीतियां थोप रही है, वह पूरी तरह गरीब किसानों के खिलाफ है और उन्हें स्थायी रोजगार से वंचित करती है, जबकि ऐसी नीतियां बनाने का उसे कोई अधिकार ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार भी एसईसीएल द्वारा प्रदेश के भू-विस्थापितों के अधिकारों के हनन पर मौन है और प्रशासनिक अधिकारी जबरन भूमि हड़प पर एसईसीएल का साथ दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ किसान सभा ने किसान समुदाय का आह्वान किया है कि एसईसीएल और राज्य सरकार की भूमि हड़प नीति के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करें। किसान सभा जटराज गांव के सभी विस्थापन पीड़ितों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है।