मामला दुर्ग जिले में मुख्यमंत्री के क्षेत्र पाटन से जुड़ा हैं जिसमें सेलूद ग्राम की भूमि का औद्योगिक व्यपवर्तन/पुनर्निर्धारण मतलब डायवर्सन हेतु केस में निर्धारण करने हेतु वकील से साहब के नाम पर दस हजार रुपये रिश्वत की मांग की जिस पर वकील के मना करने पर दोनों की बहस हो गयी।
वकील ने शिकायत में यह भी कहा है कि डायवर्सन आर आई स्वंयभू हैं तथा उन्हें मंत्री जी का वरद हस्त प्राप्त होने से किसी का भय नहीं है। क्या यही कारण तो नहीं कि, जिलाधिकारी शिकायत पर कोई त्वरित कार्यवाही नहीं कि गयी नही इस पर गंभीरता से जांच कराई जा रही है। वकील ने आर आई पर डायवर्सन कार्यालय में 5 वर्षों से अभी अधिक समय से जमे रहने एवं लगातार इस तरह की शिकायतों की वजह से नजूल में ट्रांसफर होने के बावजूद एक मात्र आर आई का ट्रांसफर रुकवा कर डायवर्सन कार्यालय में जमे रहने का आरोप लगाया है।
हल्ला तो यह भी है कि ट्रांसफर के खेल में 5 लाख तक कि बोली लगी है।आर आई हीरेन्द्र क्षत्रिय की नामजद शिकायत होने के बावजूद अधिकारियों एवं राजनैतिक छत्रछाया प्राप्त होने से इतने बेखोफ हैं कि अपने अनाधिकृत भ्रष्टाचार की कमाई पर पल रहे निज सहायकों के माध्यम से मौका मुआयना करवा कर स्वयं आराम फरमाते हैं। ज्ञात हो कि इन्ही आर आई के खिलाफ पूर्व में अधिवक्ता संघ द्वारा गंभीर शिकायत लंबित है जिसे अधिकारियों द्वारा ठंडे बस्ते में दबा दिया गया है।