2 अक्टूबर को किसान सत्याग्रह : काले कानून के खिलाफ किसान आंदोलन होगा सघन।

3 से 13 अक्टूबर किसान बइठका,  14 अक्टूबर से सांसद घेराव 


रायपुर
। किसान विरोधी काले कानून के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने को लेकर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से सम्बद्ध 25 से अधिक किसान-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि राजधानी में एकत्रित हुए। बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक एवम छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनकलाल ठाकुर ने की। बैठक में लिये गये निर्णय की जानकारी देते हुए ठाकुर बताया कि किसान कानून के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद किसान नेताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यह कानून किसान विरोधी तो है ही , इससे अब छत्तीसगढ़ के किसानों पर कार्पोरेट्स का कब्जा हो जाएगा। साथ ही यह आशंका भी व्यक्त की गई प्रदेश के किसानों को भविष्य में धान की शासकीय खरीदी रु 2500 प्रति क्विंटल की दर से नहीं हो पायेगी। अतः प्रदेश भर में वृहद आंदोलन देश के राष्ट्रीय किसान आंदोलन के साथ प्रारम्भ किया जायेगा। इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर किसान सत्याग्रह से होगी। इस दिन प्रदेश के किसान रायपुर में आज़ाद चौक स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक दिवसीय उपवास पर रहेंगे। इसके पश्चात राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम से किसान कानून को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज खरीदी को कानून बनाने की मांग होगी। इसी दिन मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के नाम से ज्ञापन देकर 1 नवम्बर से धान की शासकीय खरीदी रु 2500 प्रति क्विंटल की दर से प्रारम्भ करने की मांग और किसान विरोधी काले कानून के खिलाफ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग की जायेगी। 

देश के 250 संगठनों का आव्हान

देश के 250 संगठनों के आव्हान पर 2 और 14 अक्टूबर को प्रदेश में प्रदर्शन किया जाएगा । इसी के तहत 3 से 13 अक्टूबर तक पूरे प्रदेश के गांव-गांव में किसान बइठका का आयोजन किया जायेगा और 14 अक्टूबर से भाजपा के सांसदों का घेराव किया जाएगा । रायपुर से भाजपा सांसद सुनील सोनी का घेराव किसानों द्वारा किया जायेगा ।आज की बैठक में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने किसान कानून के खिलाफ आंदोलन की योजना बनाने अपने विचार रखे ।

नई राजधानी किसान कल्याण संघर्ष समिति के रूपन चंद्राकर परसदा ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री के अतिरिक्त अब भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गांव गांव में इस कानून को लेकर किसानों को गुमराह किया जा रहा है।राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति के पारसनाथ साहू आरंग ने किसान कानून से होने वाले नुकसान को अवगत कराने गांव गांव में बैठक का सुझाव दिया। 

जिला किसान संघ राजनांदगाँव के मोतीलाल सिन्हा ने जानकारी दी कि आगामी 3 अक्टूबर को चिचोला बार्डर पर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम किया जाएगा । पूर्व जिला पंचायत सदस्य द्वारिका साहू, महासमुंद जिला पंचायत सदस्य जागेश्वर जुगनू चंद्राकर महासमुंद और पिछड़ा समाज के गिरधर मढ़रिया ने सांसदों और जन प्रतिनिधियों के घेराव का सुझाव दिया ।

आज की बैठक में कृषि वैज्ञानिक डॉ संकेत ठाकुर, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के तेजराम विद्रोही राजिम और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने नये किसान कानून के कारपोरेट हितैषी होने का सिलसिलेवार वर्णन करते हुए बताया कि 1990 के दशक में विश्व व्यापार संगठन की शर्तों  के तहत आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर देश के संसाधनों का निजीकरण किया जा रहा है । जिसमें मोदी सरकार कांग्रेस सरकार से एक कदम आगे बढ़ते हुए अब किसानों की खेती कार्पोरेट्स को बेचने कानून तक बना दिया है ।

नदी घाटी मोर्चा के गौतम बंदोपाध्याय, छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के ठाकुर रामगुलाम सिंह, पिछड़ा समाज दुर्ग के सुबोध देव,  संयुक्त किसान मोर्चा फरफोद के वेगेंद्र सोनबेर ने किसानों के साथ समाज के सभी वर्ग लोगों को इस कानून के खिलाफ एकजुट करने का आव्हान किया। 


बैठक में अनेक किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे जिनमें प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा दल्ली राजहरा के नवाब शेख, दुर्ग, फिंगेश्वर के मदन साहू, मोखा बागबाहरा के सरपंच गोविंद चंद्राकर, कैलाश वर्मा गोढ़ी,  श्रवण चंद्राकर फरफोद, नदी , झनकराम आवडे, लिंंगाडीह आरंग। उक्त प्रेस विज्ञप्ति छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य रूपन चंद्राकर , पारस नाथ साहू , तेजराम विद्रोही , तथा डॉ संकेत ठाकुर द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई।