कोरबा। शहरी निकाय क्षेत्रों में नजूल भूमि पर बसे लोगों को भूस्वामी पट्टा देने के कांग्रेस राज्य सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पुनर्वास गांवों में बसाये गए भू-विस्थापित किसानों को भी पट्टा देने, पूर्व में अधिग्रहित भूमि को मूल भूस्वामी किसानों को लौटाने की मांग के साथ ही जिन विस्थापितों को पुनर्वास सुविधा नहीं मिली है, उन्हें बुनियादी सुविधाओं के साथ पुनर्वास देने की भी मांग की है।
आज यहां जारी एक बयान में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि माकपा शुरू से ही भूमिहीनों को भूमि तथा आवासहीनों को आवास देने की मांग पर संघर्ष कर रही है। कांग्रेस की निगम सरकार को माकपा ने इसी शर्त पर समर्थन दिया था कि वह भूमि, आवास और संपत्ति कर जैसे मुद्दों पर गरीबों की समस्या हल करेगी। इस मुद्दे पर माकपा के पिछले दस सालों के लगातार संघर्ष का नतीजा है कि राज्य सरकार को जनहित में यह फैसला लेना पड़ा है। अब माकपा यह सुनिश्चित करेगी कि राज्य सरकार का यह फैसला केवल चुनावी फैसला बनकर न रह जाए।
माकपा नेता ने कहा कि कोरबा में 13000 हेक्टेयर भूमि पर 1.75 लाख से ज्यादा गरीब परिवार आवास बनाकर काबिज है। इसमें कोरबा नगर निगम में शामिल कच्ची बस्तियों में रह रहे हजारों परिवार भी सम्मिलित हैं। इससे स्पष्ट है कि पिछले 50 वर्षों के कांग्रेस-भाजपा राज में उद्योगों के नाम पर जरूरत से ज्यादा भूमि अधिग्रहित की गई है। इस जबरन अधिग्रहण का शिकार गरीब किसान हुए हैं, जो आज भी मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार के लिए माकपा और किसान सभा के झंडे तले संघर्ष कर रहे हैं। जब किसानों की जबरन अधिग्रहित भूमि पर काबिज लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं, तो पुनर्वास गांवों के हजारों भू-विस्थापित किसानों को पट्टों से वंचित रखना समझ के परे हैं। माकपा ने भू-विस्थापित किसानों को भी काबिज भूमि का पट्टा देने तथा उद्योगों के नाम पर पूर्व में अधिग्रहित भूमि को मूल भू स्वामी किसानों को लौटाने के साथ ही जिन विस्थापितों को पुनर्वास नहीं मिला है, उन्हें बुनियादी मानवीय सुविधाओं के साथ पुनर्वास देने की मांग की है।
झा ने बताया कि भू-विस्थापित किसानों की इन मांगों को लेकर माकपा जल्द संघर्ष तेज करने की योजना बना रही है।