महासमुंद। सरकार के कार्यदायी विभागों में कमीशन के खेल ने पूरे सिस्टम को फेल कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार का लोक निर्माण विभाग अधिकारियों की दबंगई और मनमानी का हमेशा से शिकार रहा है। इस विभाग के मंत्री से लेकर प्रमुख सचिव तक यह खबर ही नहीं लगता कि कितना गोलमाल हो चुका है। तिस पर तुर्रा यह कि अधिक कमीशन के लिए ठेकेदारों के मुकरने पर बेवजह परेशान किया जाता है, फाइलें दबा दी जाती हैं, ताकि ठेकेदार विभागों के चक्कर काटें। अधिकारी ही नहीं, बाबू तक हिस्सा मांगते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी उप संभाग क्रमांक 1, महासमुंद में पदस्थ एसडीओ सीमा दीवान के द्वारा ठेकेदारों को परेशान करने की नियत से बिल मे साइन नहीं कर रही है। जानकारों ने यह भी बताया कि सब इंजीनियर के द्वारा बिल बनने के बावजूद भी मैडम साहिबा के द्वारा फाइल को रोककर रखा गया है, और तो और महोदया का ना तो ऑफिस में ज्यादा तशरीफ़ लाती हैं और ना ही फोन उठाती है।
इस सम्बन्ध में कार्यालयीन कर्मचारी ने नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि ठेकेदारों के द्वारा उक्ताशय के सम्बन्ध में बात किए जाने पर अधिक पैसे की मांग करने का खुलासा हुआ है। कुछ ठेकेदार बताते हैं कि नीचे से ऊपर तक इतना कमीशन देना पड़ता है कि गुणवत्ता से समझौता करना मजबूरी हो जाती है।
जानकारी में आया है कि इस सम्बन्ध में मंत्री और सचिव स्तर तक शिकायत करने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं किया गया है। जिसके चलते उच्च स्तरीय सांठगांठ होने की शंका उत्पन्न होना लाजमी है। यहाँ देखा तो यह भी जा रहा है कि पात्र बेरोजगारों को टेंडर देने हेतु आवेदन शुल्क लेने के बाद भी न तो फार्म दिया जाता है और न ही मनी रसीद दी जाती है। इस प्रकार से भी घोटाले किये जाते हैं। ऐसा करने से शासन को लाखों रुपये का नुकसान होता है।
शासन के आदेशानुसार बेरोजगार इंजीनियर और डिप्लोमाधारी इंजीनियरों को काम दिया जाना है लेकिन विभाग के अधिकारियों की मनमानी से बेरोजगारों के साथ छल किया जा रहा है। तय समय पर आवेदन के लिए शुल्क तो लिया जाता है जब आवेदन देने की बारी आती है तो अधिकारियों द्वारा इन बेरोजगार इंजीनियरों के साथ सौतेला व्यव्हार किया जाता है।